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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत नरेंद्र गिरि बोले- अंतिम संस्कार पर प्रश्नचिह्न उठाना निंदनीय

महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि हिंदुओं में पार्थिव शरीर को जलाने के साथ भू-समाधि देने व जल में प्रवाहित करने की परंपरा है। यह परंपरा सृष्टि निर्माण काल से है। गंगा के घाट के पास पार्थिव शरीर को हमेशा भू-समाधि दी जाती है उस पर प्रश्न उठाना गलत है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 12:46 PM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 12:46 PM (IST)
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत नरेंद्र गिरि बोले- अंतिम संस्कार पर प्रश्नचिह्न उठाना निंदनीय
गंगा घाट के किनारे भू-समाधि किए गए शवों पर प्रश्नचिह्न लगाने का अखाड़ा परिषद अध्‍यक्ष ने विरोध किया है।

प्रयागराज, जेएनएन। गंगा घाट के किनारे भू-समाधि किए गए शवों पर प्रश्नचिह्न लगाने, सरकार की आलोचना करने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उन्‍होंने कहा कि  हिंदुओं के अंतिम संस्कार को सवालों के घेरे में रहना निंदनीय है।

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महंत नरेंद्र गिरि बोले कि संत समाज जागरुक करेगा

महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि हिंदुओं में पार्थिव शरीर को जलाने के साथ भू-समाधि देने व जल में प्रवाहित करने की परंपरा है। यह परंपरा सृष्टि निर्माण काल से चली आ रही है। गंगा के घाट के पास पार्थिव शरीर हमेशा दफनाए जाते हैं, उस पर प्रश्न उठाना गलत है। कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी व यूपी में योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्ववादी सरकार काबिज है। इससे सनातन धर्म विरोधी ताकतें बौखला गई हैं। वे सरकार को बदनाम करने के लिए तरह-तरह की साजिश रचती रहती हैं। उसी के तहत अब पार्थिव शरीर को निशाना बनाने का घिनौना काम किया जा रहा है, जिसे अखाड़ा परिषद स्वीकार नहीं करेगा। संत समाज इसके खिलाफ जागरुकता फैलाएगा।

कोरोना से जोड़कर देखना गलत बताया

महंत नरेंद्र गिरि ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि कुछ लोग गंगा किनारे दफनाए गए शवों को कोरोना से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना के कारण अधिक मृत्यु हुई है, जिससे अंतिम संस्कार करने के बजाय शवों को दफनाया गया है। जबकि कोरोना से पहले भी पार्थिव शरीर दफनाए जाते रहे हैं।

नरेंद्र गिरि ने बताए अंतिम संस्कार के नियम

महंत नरेंद्र गिरि बताते हैं कि सनातन धर्मशास्त्र में तीन प्रकार से अंतिम संस्कार का विधान है। प्रथम दाह संस्कार है। शास्त्रों की दृष्टि से दाह संस्कार अंतिम संस्कारों में सबसे उत्तम है।

दाह संस्कार

इसमें पार्थिव शरीर को चिता में रखकर जलाया जाता है। अंत में बचने वाली राख को पवित्र नदी में प्रवाहित किया जाता है। इससे शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है।

जल समाधि 

पार्थिव शरीर को जल समाधि देने की परंपरा भी है। ऋषि-मुनियों, साधकों के प्राण त्यागने पर उन्हें जल समाधि दी जाती है।

भू-समाधि

तीसरी विधि भू-समाधि अर्थात दफनाने की है। इसमें मृतक शरीर को जमीन में गाड़ा जाता है। जमीन में गाडऩे पर शरीर धीरे-धीरे गल जाता है। कुछ धर्मावलंबी इस विधि को अपनाते हैं। जबकि संत-महात्माओं को भी भू-समाधि देने की परंपरा है।


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