Mahant Narendra Giri Death Case: सीबीआइ पूछताछ में संदीप बोला, नाखुश तो था पर महाराज की मृत्यु से कोई संबंध नहीं
Mahant Narendra Giri Death Case महंत नरेद्र गिरि की संदिग्ध मौत मामले में सीबीआइ जांच कर रही है। सूत्रों के मुताबिक आद्या तिवारी से पूछा गया कि वे कौन से कारण थे जिससे महंत और उसके बीच दूरी बढ़ गई थी मनमुटाव हो गया था।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के मामले में आरोपित आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को गोपनीय तरीके से सीबीआइ की टीम बंधवा स्थित बड़े हनुमान मंदिर (लेटे हनुमान जी) लेकर पहुंची थी। यहां कुछ कमरों में छानबीन करने के साथ ही मंदिर में रहने वाले कुछ शिष्यों से भी पूछताछ की गई। इसके पहले संदीप से लंबी पूछताछ की गई। उसने कहा कि मंदिर से निकाले जाने के बाद वह महाराज (महंत नरेंद्र गिरि) से नाखुश तो था पर इतना भी नहीं कि उनकी मौत के बारे में सोचे।
सीबीआइ की टीम ने पुलिस लाइन में आद्या तिवारी और संदीप तिवारी से अलग-अलग कमरों में गुरुवार को पूछताछ शुरू की। सूत्रों के मुताबिक आद्या तिवारी से पूछा गया कि वे कौन से कारण थे, जिससे महंत और उसके बीच दूरी बढ़ गई थी? मनमुटाव हो गया था? जबकि महंत जी ने ही आपको मंदिर का मुख्य पुजारी बनाया था? आनंद गिरि के खेमे में क्यों चले गए थे? उससे क्या लाभ मिल रहा था?। ऐसे ही तमाम सवाल पूछे गए, जिस पर आद्या तिवारी ने जवाब दिया कि महंत और उनके बीच किसी प्रकार की दूरी नहीं थी। कुछ गलतफहमी की वजह से मनमुटाव हो गया था। बेटे संदीप को मंदिर से निकाला गया तो मन उदास जरूर हुआ, लेकिन महाराज के बारे में कभी उल्टा-सीधा नहीं सोचा।
आनंद गिरि के सवाल पर आद्या साफ-साफ नहीं बोल सके। बस इतना कहा कि छोटे महाराज हैं, इसलिए उनके आदेश का भी पालन करना पड़ता है। वहीं संदीप से जब पूछताछ शुरू हुई तो सवाल किए गए कि मंदिर से किन वजहों से निकाला गया? कितने रुपये की हेराफेरी का आरोप लगा था? आनंद गिरि के करीबी कैसे बन गए? आंनद से बातचीत फोन पर होती थी या नहीं? अगर होती थी तो क्या बात करते थे? महंत नरेंद्र गिरि से अपनी गलती के लिए माफी मांगे थे या नहीं?। इन सवालों का जवाब संदीप गोलमोल तरीके से देता रहा। हालांकि, उसने यह जरूर कहा कि मंदिर से जब उसे निकाला गया तो उसके अत्यंत पीड़ा हुई। मठ में भी उसकी आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
बड़े हनुमान मंदिर में दाखिल न हो पाने की वजह से वहां रहने वाले अन्य पुजारी व शिष्यों के सामने उसे शर्मिंदा न होना पड़े, इसलिए उसने मंदिर भी जाना बंद कर दिया था। अपने पिता से इस बारे में बातचीत करता था और महाराज से वापस मंदिर में रखने के लिए क्षमा याचना की बात भी उसने कही थी। उसने कहा कि मंदिर से निकाले जाने के बाद वह परेशान जरूर रहता था, लेकिन महाराज के बारे में कभी उसने गलत नहीं सोचा। आनंद गिरि से उसकी बातचीत होती थी तो वह मंदिर में अपनी वापसी के लिए फरियाद करता था। हालांकि, उसकी बताई गईं बातों पर सीबीआइ को यकीन नहीं है, इसलिए पूरे तौर पर इसकी पुष्टि की जा रही है।