महंत नरेंद्र गिरि मृत्यु मामले में गिरफ्तार मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी को नहीं मिली जमानत
बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि मुकदमा 24 घंटे विलंब से दर्ज कराया गया और इस विलंब का कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया। आइपीसी की धारा 306 के अंतर्गत गिरफ्तारी की गई है लेकिन इस अपराध के तत्व पूर्ण नहीं होते हैं
प्रयागराज, जेएनएन। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार मुख्य पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी को नैनी सेंट्रल जेल से रिहाई नहीं मिल सकी है। उसकी जमानत अर्जी जिला न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्को को सुनकर खारिज कर दी। जिला जज नलिन कुमार श्रीवास्तव ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रमोद सिंह नीरज और सीबीआइ के अधिवक्ता, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गुलाब चंद्र अग्रहरि के तर्कों को सुनकर नामंजूर किया।
बचाव पक्ष की ओऱ से यह तर्क दिया गया
इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट 24 घंटे विलंब से दर्ज कराई गई है और इस विलंब का कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। आइपीसी की धारा 306 के अंतर्गत गिरफ्तारी की गई है, लेकिन इस अपराध के तत्व पूर्ण नहीं होते हैं। आरोपित प्राथमिकी में नामजद नहीं है। मामले के आरोपित आनंद गिरि से उसका कोई वास्ता सरोकार नहीं है। आत्महत्या को उकसाने का कोई सबूत एकत्र नहीं किया गया है।
सुसाइड नोट को उचित तरीके से सत्यापित नहीं कराया गया
जो सुसाइड नोट बरामद किया जाना बताया जा रहा है, उसे उचित तरीके से सत्यापित नहीं कराया गया है। बेवजह झूठा फंसाया गया है। आरोपित 70 वर्षीय वृद्ध बीमार व्यक्ति है। इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए। अभियोजन पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि आरोपित सह आरोपित के साथ आपराधिक षड्यंत्र करके मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया, जिस कारण महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या कर लिया। जमानत अर्जी स्वीकार किए जाने का आधार नहीं है। जमानत अर्जी निरस्त किए जाने योग्य है।