Mahant Narendra Giri: 14 वर्ष पहले प्रयागराज में संत ज्ञानेश्वर की हुई थी हत्या, अब नरेंद्र गिरि की मौत
Mahant Narendra Giri 10 फरवरी 2006 को प्रयागराज के कुंभ मेला में अंतिम प्रमुख स्नान कर वाराणसी जाने के लिए संत ज्ञानेश्वर अपने पूरे काफिले के साथ निकले थे। हंडिया क्षेत्र में उनके वाहनों को घेर कर स्वचालित असलहों से गोलियां बरसाकर संत उनके सात शिष्यों की हत्या हुई थी।
प्रयागराज, [राजेंद्र यादव]। संगमनगरी यानी प्रयागराज में किसी बड़े संत की मौत का यह दूसरा वाकया है, जब लोग दहल गए हैं। इसके 14 वर्ष पहले भी संत ज्ञानेश्वर की मौत हुई थी। हालांकि, उनको बीच सड़क गोलियों से मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हमले में संत ज्ञानेश्वर और उनके सात शिष्यों की मौत हो गई थी। अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत से 14 वर्ष पहले हुई घटना की याद लोगों के जेहन में ताजा हो गई है।
प्रयागराज कुंभ स्नान कर वापस लौट रहा था संत ज्ञानेश्वर का काफिला
10 फरवरी 2006 को प्रयागराज के कुंभ मेला में अंतिम प्रमुख स्नान कर वाराणसी जाने के लिए संत ज्ञानेश्वर अपने पूरे काफिले के साथ निकले थे। हंडिया क्षेत्र में रास्ते में घात लगाकर बैठे हमलावरों ने उनके वाहनों को घेर कर स्वचालित असलहों से गोलियां बरसाई थीं। इसमें संत ज्ञानेश्वर, पुष्पा, पूजा, नीलम, गंगा, ओमप्रकाश, रामचंद्र, मिथिलेश की मौत हो गई थी। वहीं दिव्या, मीरा, संतोषी, अनीता, मीनू गंभीर रूप से घायल हो गई थीं।
संत ज्ञानेश्वर के भाई ने भूमि विवाद में लगाया था हत्या का आरोप
संत ज्ञानेश्वर के भाई इंद्रदेव तिवारी निवासी देवरिया ने इसौली के पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू, उनके ब्लाक प्रमुख भाई यशभद्र सिंह मोनू समेत अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया था। जमीन के झगड़े में इस पूरी वारदात का होना बताया गया था।
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के पीछे संपत्ति का विवाद बताया जा रहा
अब ताजा मामला अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि का है। उनकी मौत को लेकर भी तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। महंत नरेंद्र गिरि की मौत के पीछे संपत्ति का विवाद की बात सामने आ रही है। कोई कह रहा है कि उनको इस कदर ब्लैकमेल किया गया कि उनको खुद को खत्म करना पड़ा। जबकि कोई कुछ और ही कह रहा है। फिलहाल हर कोई यह जानना चाह रहा है कि महंत नरेंद्र गिरि की मौत की असल वजह क्या है।