Magh Purnima 2021: पौराणिक ग्रंथों में है माघी पूर्णिमा के महत्व का उल्लेख, संगम किनारे अनुष्ठान है फलदाई
Maghi Purnima 2021 पौराणिक कथाओं के मुताबिक माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। जो गंगा जल से स्नान न कर पाएं वे डुबकी लगाकर नदी व सरोवरों में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। धार्मिक मान्यता के अनुसार 27 नक्षत्रों में एक मघा से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति हुई है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दान करने से नरक से मुक्ति और बैकुंठ की प्राप्ति होती है। माघी पूर्णिमा के महत्व का उल्लेख पौराणिक ग्रन्थों में मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवतागण मानव स्वरूप धारण कर गंगा स्नान के लिए तीर्थराज प्रयाग की धरा पर आते हैं। जो श्रद्धालु प्रयागराज में एक महीने तक कल्पवास करते हैं, उसका समापन भी माघ पूर्णिमा पर ही होता है। इस बार 26 फरवरी को व्रत की पूर्णिमा तथा 27 फरवरी 2021 को दान की पूर्णिमा है।
भगवान विष्णु करते हैं इस दिन गंगा जल में वास
पौराणिक कथाओं के मुताबिक माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। जो गंगा जल से स्नान न कर पाएं वे डुबकी लगाकर नदी व सरोवरों में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। पद्म पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा स्नान के बाद ध्यान और जप-तप से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं तो मुक्ति और बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इस दिन दान करने का बड़ा महत्व है। गोदान, तिल, गुड़ और कंबल दान का विशेष महत्व है। वस्त्र, गुड़, घी, कपास, लड्डू, फल, अन्न आदि चीजों का दान कर सकते हैं। इस दिन सत्य नारायण की कथा का विशेष महत्व है।
गंगा में स्नान करने से मानव को होती है स्वर्ग की प्राप्ति
ज्योतिषी युग के अनुसार माघ मास में देवता पृथ्वी पर निवास करते हैं। माघ पूर्णिमा पर शीतल जल गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति पापमुक्त होकर स्वर्ग लोक को प्राप्ति होती है। ज्योतिर्विद पं. आदित्य कीर्ति त्रिपाठी के अनुसार ब्रह्मवैवर्तपुराण, पद्मपुराण और निर्णय सिंधु में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा के दिन स्वयं श्रीहरि (विष्णु) गंगाजल में निवास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगाजल के स्पर्श मात्र से समस्त पापों का नाश हो जाता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। शरीर के सारे रोग दूर हो जाते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य व पुत्र रत्न की प्राप्ति भी होती है।
चंद्रमा सोलह कलाओं से इस दिन होते हैं शोभायमान
ऐसा माना जाता है कि माघी पूर्णिमा के दिन से ही कलयुग की शुरुआत हुई थी। संगम तट पर महीनेभर से चल रहे कल्पवास की भी पूर्णता इसी खास दिन पर होती हैै। इस दिन चंद्रमा भी अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होते हैं। पूर्ण चंद्रमा धरती पर अमृत वर्षा करते हैं, जिसका अंश नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों पर पड़ता है जिससे उनको नवजीवन की प्राप्ति होती है।