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माघ मेले में पैसों के साथ पुण्य भी कमा रहे ये दुकानदार, जानिए आखिर क्या करते हैं वे सुबह सुबह

मेला क्षेत्र में दुकान लगाने वाले अरुण कुमार ने बताया कि मेला शुरू होते ही परिवार के साथ मेला क्षेत्र में आ गए। कल्पवास करना तो कठिन होगा क्योंकि परिवार की जिम्मेदारी भी छोटे से चाय-पान के दुकान से चलती है लेकिन प्रभु की भक्ति भी जरूरी है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 10:31 AM (IST)
माघ मेले में पैसों के साथ पुण्य भी कमा रहे ये दुकानदार, जानिए आखिर क्या करते हैं वे सुबह सुबह
दुकानदार कल्पवास तो नहीं कर रहें हैं, लेकिन कल्पवासियों से कम भी नहीं है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। संगम किनारे आस्था के महा मेले की शुरूआत हो चुकी है। हर कोई पुण्य का भागीदार बनने में जुटा हुआ है। सुदूर इलाकों से मेला क्षेत्र में आए दुकानदार भी इसमें पीछे नहीं है। यह दुकानदार कल्पवास तो नहीं कर रहें हैं, लेकिन कल्पवासियों से कम भी नहीं है। अपना और परिवार के भरण-पोषण के लिए बाहर से आए कई दुकानदारों ने मेला क्षेत्र अपनी दुकानें सजाई है, लेकिन यह दुकानदारी के साथ-साथ दोनों समय संगम स्नान कर प्रभु का ध्यान करना नहीं भूलते हैं। उसके बाद दुकान सजाते है, दिनभर दुकानदारी कर पैसों की जुगत करते हैं। फिर शाम को संगम स्नान के बाद भगवान के ध्यान में जुट जाते है। माघ मेले में पूरे माह क्षेत्र के कई दुकानदारों की यही दिनचर्या रहती है।

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दुकानदारी से चलता है परिवार

पिछले कई सालों से मेला क्षेत्र में दुकान लगाने वाले प्रतापगढ़ के अरुण कुमार ने बताया कि मेला शुरू होते ही वह अपने परिवार के साथ मेला क्षेत्र में आ गए। कल्पवास करना तो कठीन होगा, क्योंकि परिवार की जिम्मेदारी भी छोटे से चाय-पान के दुकान से चलती है। लेकिन प्रभु की भक्ति भी तो जरूरी है। इसके लिए रोज सुबह-शाम संगम स्नान कर भगवान का ध्यान और भजन कर लेता हूं।

मेला देखते देखते आ गई जवानी

झूंसी के रहने वाले विकास कहते है कि पहले मेला क्षेत्र में हमारे पिताजी दुकान लगाते थे और हमको मेला घूमने के साथ पिताजी के काम में भी हाथ बटाना होता था। इसी मेले को देखते-देखते जवानी आ गई। अब परिवार के जिम्मेदारी का बोझ हमारे सिर पर है। पिताजी भी दुकान खोलने के पूर्व संगम स्नान कर पूजा-पाठ किया करते थे यही परंपरा हम भी निभा रहें हैं। रोजाना दोनों समय संगम स्नान के साथ भगवान को याद कर लेते हैं।


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