Magh Mela 2021 : विश्व हिंदू परिषद नहीं करेगा इस बार कोई बड़ा आयोजन Prayagraj News
पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री ने बताया कि इस बार संगठन की ओर से कोई बड़ा आयोजन नहीं होगा। हां सभी पारंपरिक गतिविधियां संचालित होंगी। इनमें भी प्रयास होगा कि भीड़ न जुटे। पंडाल में आने वालों के लिए कोविड-19 से बचाव संबंधी सभी नियमों का पालन किया जाएगा।
प्रयागराज, जेएनएन। संगम तट पर माघ मेला धीरे धीरे आकार ले रहा है। साधु संत के तंबू लगने लगे हैं। तमाम सरकारी कार्यालयों के पंडाल पहले ही सज चुके हैं। मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद का पंडाल लगाने के लिए भूमि पूजन हुआ।
परेड के सेक्टर एक में विहिप का पंडाल लगाने के लिए वेद विद्यालय के प्राचार्य आचार्य पंकज शर्मा व दीक्षांत पांडेय ने भूमि पूजन कराया। इस दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री अंबरीष, कांशी प्रांत के संगठन मंत्री मुकेश मुख्य यजमान रहे। पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री ने बताया कि इस बार संगठन की ओर से कोई बड़ा आयोजन नहीं होगा। हां सभी पारंपरिक गतिविधियां संचालित होंगी। इनमें भी प्रयास होगा कि भीड़ न जुटे। पंडाल में आने वालों के लिए कोविड-19 से बचाव संबंधी सभी नियमों का पालन किया जाएगा।
संपर्क अभियान के लिए होगा मुख्य केंद्र
मेला क्षेत्र में बनने वाले विहिप के पंडाल में अयोध्या में बनने वाले श्री राम मंदिर के निर्माण को लेकर भी बैठकें होंगी। प्रयागराज काशी प्रांत के लिए मुख्यालय बनाया गया है। यहां बाहर से आने वाले पदाधिकारी व कार्यकर्ता जुटेंगे। मकरसंक्रांति से शुरू होने वाले अभियान के लिए भी जनसंपर्क यहीं से शुरू किया जाएगा। संत समाज के लोगों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
इस बार नहीं होगा बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार
वेद विद्यालय के प्राचार्य आचार्य पंकज ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए मेला क्षेत्र में वेद विद्यालय की कोई गतिविधि नहीं होगी। हर साल विहिप कार्यालय में ही वेद विद्यालय के विद्यार्थियों का 15 दिन का शिविर लगता था। इसमें देशभर से विद्यार्थी जुटते थे। इस बार किसी को नहीं बुलाया जाएगा। प्रत्येक वर्ष यहां आने वाले विद्यार्थियों को विशेष प्रशिक्षण देने के साथ ही उनकी सृजनात्मकता विकसित करने के लिए तरह तरह की प्रतियोगिताएं भी होती थीं। इस बार कुछ नहीं होगा। विद्यार्थियों के न आने के कारण बड़े पैमाने पर होने वाल बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार भी नहीं होगा। आचार्य ने यह भी बताया कि बटुकों के अतिरिक्त एक अन्य आयोजन होता था जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोगों के यज्ञोपवीत संस्कार होते थे। वह आयोजन भी इस बार नहीं होगा।