Magh Mela 2021 : कोरोना काल की आपदा में भी संगम तीरे जलती रही धर्म-कर्म की लौ
माघ मेला में कल्पवास के लिए देशभर से संत व गृहस्थ आते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सख्ती बरतने का निर्देश दिया था। लोग अध्यात्म की इस परंपरा को लेकर कयास लगा रहे थे। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साहस दिखाया। परंपरा नहीं टूटने दी।
प्रयागराज, जेएनएन। परमपिता ब्रह्मा, महर्षि भरद्वाज की तपस्थली प्रयाग को यूं ही तीर्थराज की उपाधि नहीं मिली है। माघ मास में समस्त देवी-देवताओं की संगम तट पर उपस्थिति भी मिथ्या नहीं मानी जा सकती। कोरोना संक्रमण के बीच इस बार जिस तरह संगम की रेती पर माघ मेला आबाद हुआ, वह याद रहेगा। धर्म-कर्म के समागम में आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति हर संत व श्रद्धालुओं को हुई।
माघ मेले में नहीं दिखा कोरोना वायरस के संक्रमण का असर, नगण्य रही संक्रमितों की संख्या
माघ मेला में कल्पवास के लिए देशभर से संत व गृहस्थ आते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सख्ती बरतने का निर्देश दिया था। लोग अध्यात्म की इस परंपरा को लेकर कयास लगा रहे थे। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साहस दिखाया। परंपरा नहीं टूटने दी। आमतौर पर दिसंबर के प्रथम पखवारे तक 60 प्रतिशत काम पूरा हो जाता था। इस बार इसी अवधि में पांटून पुल बनाने, चकर्डप्लेट बिछाने जैसे कार्य शुरू हुए। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तैयारियों पर निरंतर नजर रखी। अफसरों के साथ कई बैठकें की। मेला पहले की तरह बसा। प्रवचन को छोड़ दें तो भंडारा, संत सम्मेलन व अन्य धर्म कर्म पहले की भांति हुए। उत्तराखंड त्रासदी से धड़कन थोड़ी बढ़ी, लेकिन जलप्रलय का प्रभाव यहां नहीं दिखा। कल्पवासी राजेंद्र मोहन कहते हैं कि सब तीर्थराज की महिमा है। साधना पर कोई विघ्न नहीं डाल सकता। मेले में कोरोना संक्रमितों की संख्या नगण्य रही और किसी की भी कोरोना से मृत्यु नहीं हुई।
धर्मगुरुओं ने किया प्रवास
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने इस बार भी प्रवास किया। दंडी स्वामी, रामानंदी सम्प्रदाय, आचार्य सम्प्रदाय, खाकचौक व किन्नर अखाड़ा से जुड़े महात्माओं ने अनुष्ठान व भंडारा किया। अखाड़ा परिषद की तीन दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा हुई।
बेहतर प्रबंधन का नायाब उदाहरण
पांच सेक्टर में 650 हेक्टेयर जमीन पर बसा माघ मेले में इस बार प्लास्टिक निर्मित करीब 25 हजार शौचालय बनाए गए। सफाई पर विशेष जोर रहा। दिन में लार्वा निरोधक का छिड़काव और शाम को फॉगिंग कराई गई। स्नान व अघ्र्य के लिए गंगाजल की शुद्धता को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता कितनी रही, इसे ऐसे समझा जा सकता है कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह तक ने गंगाजल का आचमन कर उसकी शुद्धता की प्रामाणिकता दी। मेला क्षेत्र एलईडी से जगमगा रहा है। श्रद्धालुओं की श्रद्धापूर्ति में कमी न रहे, इसलिए अक्षयवट के द्वार भी खुले रहे। सही मायने में यह मेला आपदा में बेहतर प्रबंधन का नायाब उदाहरण बना।
नंबर गेम
45 हजार कल्पवासी 28 जनवरी से 27 फरवरी तक संगम तीरे रहे
-4.5 लाख श्रद्धालुओं ने पहले स्नान पर्व मकर संक्रांति पर स्नान किया
-2.80 लाख आस्थावानों ने पौष पूर्णिमा पर पवित्र डुबकी लगाई
-30 लाख श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर स्नान किया
-15 लाख आस्थावनों ने वसंत पंचमी पर डुबकी लगाई
-07 लाख श्रद्धालुओं ने माघी पूर्णिमा पर पुण्य की डुबकी लगाई
-11 मार्च को महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर होगा अंतिम स्नान