Magh Mela 2021 : प्रयागराज माघ मेला के स्नान पर्व घोषित, तैयारियों पर Coronavirus संक्रमण बना रोड़ा
Magh Mela 2021 प्रयागराज में संगम की रेती पर हर वर्ष माघमेला लगता है। एक माह का कल्पवास भी होता है। माघमेला के स्नान पर्व घोषित हुए पर कोरोना ने तैयारियों पर असर डाला है।
प्रयागराज, जेएनएन। माघमेला 2021 पर कोरोना वायरस संक्रमण के बादल छाए हैं। इस महामारी के संक्रमण काल में माघमेला की तैयारियों पर अभी विराम ही लगा हुआ है। वैसे प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने स्नान पर्व की तिथियां घोषित कर दी हैं। सदियों से गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तीरे कुंभ और माघ मेले का आयोजन होता रहा है। करीब दो महीने तक चलने वाले दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक समागम की तैयारी हर साल लगभग 14 विभाग जुलाई व अगस्त में शुरू कर देते थे। योजना बनाने के साथ अनुमानित लागत इत्यादि को लेकर मंत्रणा होती थी। बाढ़ का पानी हटते ही सितंबर बाद जमीन पर काम शुरू करा दिया जाता था।
माघमेला का प्रथम स्नान पर्व 14 जनवरी व अंतिम 11 मार्च को होगा
पहला स्नान 14 जनवरी और आखिरी स्नान 11 मार्च को होगा। कुल छह स्नान पर्व होंगे। वैसे स्नान पर्व की तिथि घोषित होने के बाद भी इसकी तैयारी शुरू नहीं हुई है। अफसरों की एक भी बैठक नहीं हुई है, ऐसे में मेला लगेगा या नहीं, इस पर संशय है।
यह होंगे 2021 में अहम स्नान पर्व
- 14 जनवरी मकर संक्रांति
- 28 जनवरी पौष पूर्णिमा
- 11 फरवरी मौनी अमावस्या
- 16 फरवरी बसंत पंचमी
- 27 फरवरी माघी पूर्णिमा
- 11 मार्च महाशिवरात्रि।
माघमेला बसाने के लिए करीब चार महीने का लगता है समय
पिछले साल अगस्त तक पांटून पुल, सड़क, बिजली, पानी सप्लाई आदि के ठेके हो चुके थे। इस बार प्रशासन कोरोना वायरस के संक्रमण में ऐसा उलझा है कि मेले को लेकर एक भी बैठक नहीं हुई। वैसे करीब 70 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है लेकिन प्रदेश सरकार से कितनी राशि मिलेगी, साफ नहीं है। हालत यह है कि पिछले माघ मेले के 44 ही करोड़ रुपये का भुगतान शासन स्तर पर लंबित है। बाढ़ की स्थिति सितंबर भर रहेगी। माना जा रहा है कि यदि सितंबर में कोरोना वायरस के संक्रमण का मौजूदा स्वरूप बरकरार रहा तो मुश्किल बढ़ सकती है। संगम तीरे मेला बसाने के लिए करीब चार महीने तक काम करना पड़ता है।
जानिए, क्या कहते हैं मेला अधिकारी
प्रयागराज मेला प्राधिकरण के मेला अधिकारी रजनीश मिश्र कहते हैं कि फिलहाल कोरोना संकट है, इसलिए प्राथमिकता इससे निपटने की है। अभी तो सभी तरह के सार्वजनिक आयोजन रद किए जा रहे हैं। आगे संक्रमण की स्थिति के अनुरूप तय किया जाएगा कि मेला होगा या नहीं।