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Magh Mela 2021 : बिना प्रभु की कथा सुने कुछ ग्रहण नहीं करते हैं इस शिविर के खरगोश, खुद से आ जाते हैं कथा स्थल पर

मां तारा आश्रम चित्रकूट धाम के पीठाधीश्वर कपिलदेव नागा की उत्तराधिकारी योगाचार्य राधिका वैष्णव का पशुओं से बेहद लगाव है। प्रवचन के साथ बेसहारा गाय बैल कुत्ता आदि की देखरेख करती हैं। पशु प्रेम में खरगोश पाला है। हर खरगोश को कहीं न कहीं से पकड़कर रखा गया है।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 07:00 AM (IST)
Magh Mela 2021 : बिना प्रभु की कथा सुने कुछ ग्रहण नहीं करते हैं इस शिविर के खरगोश, खुद से आ जाते हैं कथा स्थल पर
योगाचार्य राधिका वैष्णव बताती हैं कि मंच पर कथा न होने पर भी उन्हें कथा सुनाई जाती है।

प्रयागराज,जेएनएन। संगम की रेती संत-महात्मा, कल्पवासियों के  अनुष्ठानों से आह्लïादित है। आस्था के मेले में मुक्ति और समृद्धि की संकल्पना साकार करने के लिए मंत्रोच्चार के बीच 24 घंटे अनुष्ठान जारी है। तपस्थली प्रयागराज में नर, नारी व किन्नरों के साथ पशु-पक्षी भी भक्तिभाव से सराबोर हैं। कुछ ऐसा ही दृश्य खाकचौक स्थित महामंडलेश्वर कपिलदेव नागा के शिविर का है। जहां श्रीराम, हनुमान, नर्मदा, भारद्वाज नामी खरगोश हर किसी के आकर्षण का केंद्र बने हैं। वे दिनभर शिविर में भ्रमण करते हैं। जब पूजन, हवन व प्रवचन का समय आता है तो स्वत: उस स्थान पर पहुंच जाते हैं। प्रवचन के दौरान संतों, कल्पवासियों के साथ व्यासपीठ के पास बैठे रहते हैं।  बिना राम कथा सुने वे कुछ ग्रहण नहीं करते हैं।

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शिविर के बाहर नहीं जाते हैं खरगोश

मां तारा आश्रम चित्रकूट धाम के पीठाधीश्वर कपिलदेव नागा की उत्तराधिकारी योगाचार्य राधिका वैष्णव का पशुओं से बेहद लगाव है। प्रवचन के साथ बेसहारा गाय, बैल, कुत्ता आदि की देखरेख करती हैं। पशु प्रेम में खरगोश पाला है। हर खरगोश को कहीं न कहीं से पकड़कर रखा गया है, जिससे दूसरे जानवर उनका शिकार न कर सकें। मौजूदा समय 14 खरगोश हैं, जिन्हें नर्मदा, रेवा, प्रयाग, भारद्वाज, चीकू, डुग्गी, हनुमान, श्रीराम, श्रीकृष्ण, अयोध्या जैसे नामों से पुकारा जाता है। सभी भक्तिभाव में रमे रहते हैं। शिविर के बाहर कोई नहीं जाता। यही कारण है कि वे हर किसी के आकर्षण का केंद्र बने हैं।

स्वत: आते हैं कथा स्थल पर

शिविर में खरगोश को खुला रखा जाता है। वे पूरे शिविर में भ्रमण करते हैं। कथा का समय होने पर स्वत: व्यास पीठ के पास पहुंच जाते हैं। हवन का मंत्रोच्चार होने पर यज्ञकुंड के पास जाकर बैठ जाते हैं। प्रवचन व अनुष्ठान खत्म होने पर वहां से हट लेते हैं। जब भंडारा चलता है तो उस दौरान नहीं रहते।

कथा सुनाना है अनिवार्य

राधिका बताती हैं कि खरगोश को प्रतिदिन प्रभु की कथा सुनानी पड़ती है। मंच पर कथा न होने पर भी उन्हें पास में रखकर कथा सुनाई जाती है। कथा न सुनाने पर वे कुछ ग्रहण नहीं करते।


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