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ये हैं प्रयागराज की शिक्षिका माधवी, लाॅकडाऊन में भी इन्‍होंने नहीं सूखने दिया तूलिका का रंग

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन जैसे दौर में भी प्रयागराज के आर्यकन्‍या डिग्री कॉलेज की शिक्षिका माधवी निराला ने ऑनलाइन मंच पर कला की कई गतिविधियां आयोजित कराया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 01:16 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 01:16 PM (IST)
ये हैं प्रयागराज की शिक्षिका माधवी, लाॅकडाऊन में भी इन्‍होंने नहीं सूखने दिया तूलिका का रंग
ये हैं प्रयागराज की शिक्षिका माधवी, लाॅकडाऊन में भी इन्‍होंने नहीं सूखने दिया तूलिका का रंग

प्रयागराज, जेएनएन। कुछ करने की चाहत हो तो मुश्किलें रोड़ा नहीं बनती हैं। कोरोना काल में जब तमाम चीजें ठप पड़ गईं तो भी कई ऐसे लोग थे जिन्होंने अपनी सृजनात्मकता को दम तोड़ने से बचाया ही नहीं बल्कि उसे और भी जीवंत किया। इन्हीं में से एक है। आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की शिक्षका एवं कलाकार माधवी निराला। उन्होंने महामारी, लाॅकडाउन जैसे समय में भी अपनी तूलिका के रंग को सूखने नहीं दिया।

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ऑनलाइन मंच पर कला की कई गतिविधिया आयोजित कराया

कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए माधवी निराला कई अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय सेमीनार, प्रदर्शनी और शिविरों में भागीदारी की। कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन जैसे समय में भी माधवली निराला ने ऑनलाइन मंच पर कला की कई गतिविधिया भी आयोजित कराया। इसमें 'बोलते चित्र ग्रुप ऑफ आर्ट' के नाम पर ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता व प्रदर्शनी का आयोजन करा चुकी हैं। इस आयोजन में कई जगह के कलाकारों ने भाग लिया।

'अमृता शेरगिल' सम्मान से माधवी निराला हो चुकी हैं सम्‍मानित

माधवी को कला के क्षेत्र में संस्कार भारतीय कोच की ओर से 'अमृता शेरगिल' सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। आर्य कन्या कॉलेज की छात्राओं ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झांसी में राष्ट्रीय कला मंच की ओर से आयोजित 'राखी बनाओं थाली सजाओ प्रतियोगिता' में भी माधवी के नेतृत्‍व में हिस्सा लिया। विद्यार्थियों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर प्रथम एवं द्वतीय स्थान भी प्राप्त किया। इसी के साथ ही इनके विद्यार्थीयों ने राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में भी अपना स्थान बनाया है।

ऑनलाइन विद्यार्थियों को कला का प्रशिक्षण रहीं

लाॅकडाउन के दौरान माधवी निराला की सृजनात्मक गतिविधि चलती रहीं। विद्यार्थियों को भी इसका काफी लाभ मिला। यह प्रक्रिया अब भी चल रही है। काॅलेज समय के अतिरिक्त ऑनलाइन विद्यार्थियों को वह कला का प्रशिक्षण भी दे रही हैं। साथ ही बेकार वस्तुओं से क्राफ्ट कला भी बच्चों को सिखा रही हैं।


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