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Love Jihad Law in UP: लव जिहाद कानून पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम रोक लगाने से इनकार, सात को अगली सुनवाई

Love Jihad Law in UP कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में लव जेहाद कानून पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के साथ ही सरकार से चार जनवरी को विस्तृत जवाब मांगा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 04:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 06:03 PM (IST)
Love Jihad Law in UP: लव जिहाद कानून पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का अंतरिम रोक लगाने से इनकार, सात को अगली सुनवाई
सौरभ कुमार की जनहित याचिका पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस कानून के खिलाफ सुनवाई भी हुई।

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में लव जेहाद काननू लागू करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में लव जेहाद कानून पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के साथ ही सरकार से चार जनवरी को विस्तृत जवाब मांगा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी।

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लव जेहाद पर अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी कानून लाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुहर लगा दी है। इसके साथ ही लोगों को इस कानून पर आपत्ति भी होने लगी है। सौरभ कुमार की जनहित याचिका पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस कानून के खिलाफ सुनवाई भी हुई। कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के साथ ही सरकार से चार जनवरी तक विस्तृत जवाब मांगा। अब इस मामले में अंतिम सुनवाई सात जनवरी को होगी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिविजन बेंच में हुई थी। अंतरिम रोक लगाने का आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया।

उत्तर प्रदेश सरकार के लव जेहाद से धर्म परिवर्तन को लेकर जारी अध्यादेश की चुनौती याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से चार जनवरी तक जवाब मांगा है। जनहित याचिका में अध्यादेश को नैतिक व सांविधानिक रूप से अवैध बताते हुए रद करने की मांग की गयी है। इसमें कहा गया है कि इस कानून के तहत उत्पीडऩ पर रोक लगायी जाय। इस याचिका के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 अक्तूबर 2020 को बयान दिया था कि उनकी सरकार लव जेहाद के खिलाफ कानून लायेगी। उनका मानना है कि मुस्लिम का हिन्दू लड़की से शादी धर्म परिवर्तन कराने के षड्यंत्र का हिस्सा है।

एक मामले की सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन को अवैध करार दिया। इसके बाद बयान आया और अध्यादेश जारी किया गया है। हालांकि एक खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले के विपरीत फैसला सुनाया और कहा है कि दो बालिग किसी भी धर्म के हो अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। इसमें कहा गया कि धर्म बदलकर शादी करने को गलत नहीं माना जा सकता। इसके साथ कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद से जीवन साथी व धर्म चुनने का सांविधानिक अधिकार है। यह अध्यादेश सलामत अंसारी केस के फैसले के विपरीत है। जीवन के अधिकार अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। इसी कारण इसे तत्काल ही असांविधानिक घोषित किया जाय। फिलहाल कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत न देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था, धाॢमक सौहार्द कायम रखने व सामाजिक ताने-बाने को सुदृढ़ रखने के लिए अध्यादेश जरूरी है। संविधान सम्मत है। याचिका की अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी।  


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