मंडल में बेरोजगारों की लंबी फेहरिस्त पर रोजगार मेले में नहीं आते नजर Prayagraj News
बेरोजगारों की ऐसी भी लंबी फौज है जिसने रजिस्ट्रेशन कराया ही नहीं है। यदि प्रयागराज की बात करें तो इन बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए सालभर में 15 रोजगार मेले लगाए गए।
प्रयागराज,जेएनएन । मंडल में बेरोजगारों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन रोजगार मेले में ये नजर नहीं आते। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि मंडल में कुल तीन लाख 10 हजार 154 बेरोजगार हैं। इसमें से वर्ष 2018-19 में महज 5154 ने रोजगार मेले में हिस्सा लिया और 1338 को नौकरी मिली। इसी तरह, 2019-20 में 3700 ने रोजगार मेले में प्रतिभाग किया और महज 889 को नौकरी मिली।
लाखों में बेरोजगारों में सिर्फ 889 को नौकरी दे सका सेवायोजन कार्यालय
क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक प्रयागराज में एक लाख 66 हजार 245, प्रतापगढ़ में 102459, फतेहपुर में 29423 और कौशांबी में 12027 बेरोजगार पंजीकृत हैं। इसके अलावा बेरोजगारों की ऐसी भी लंबी फौज है, जिसने रजिस्ट्रेशन कराया ही नहीं है। यदि प्रयागराज की बात करें तो इन बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए सालभर में 15 रोजगार मेले लगाए गए। इसमें महज 3700 ने दिलचस्पी दिखाई और 889 को नौकरी हासिल हुई। सहायक निदेशक सेवायोजन रत्नाकर अस्थाना ने बताया कि मेले में प्राइवेट कंपनियां आती हैं और लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के आधार पर नौकरी देती हैं। उन्होंने बताया कि योग्य आवेदक मनमाफिक नौकरी न मिलने की वजह से नहीं पहुंच पाते और जो आते हैं उनमें योग्यता ही नहीं रहती है। सहायक निदेशक सेवायोजन रत्नाकर अस्थाना का कहना है कि मंडल में बेरोजगारों की संख्या बहुत है। इसमें से बहुतों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया होगा। रोजगार मेले में बेरोजगार आते हैं, लेकिन कौशल न होने की वजह से साक्षत्कार में सफल नहीं हो पा रहे हैं। हालांकि, हर माह करीब 200 लोगों को मेले से रोजगार मिल रहा है।
इन क्षेत्रों में मिलता है रोजगार
रोजगार मेले में आने वाली प्राइवेट कंपनियां एग्रो सेक्टर, सेल्स एंड मार्केटिंग, सिक्योरिटी गार्ड आदि के लिए नौकरी का अवसर देती हैं। इसमें आवेदकों को न्यूनतम 8027 और अधिकतम 22 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता है। चयन होने के बाद भी कई बेरोजगार नौकरी पसंद न आने पर छोड़ देते हैं।
सरकार ने हाथ खींचा तो बढ़े बेरोजगार
वर्ष 1989 के पूर्व सेवायोजन कार्यालय से सरकारी नौकरियां भी हासिल होती थीं। इसके लिए बाकायदा जिला चयन समिति का गठन किया गया था। यह समिति समूह ग और घ में नियुक्ति करती थी। हालांकि, 89 में उत्तर प्रदेश सरकार ने अचानक समिति भंग कर दिया। इसके बाद से लगातार बेरोजगारों की फौज बढ़ती गई और सेवायोजन कार्यालय से बेरोजगारों का मोह भंग होता गया।
रजिस्ट्रेशन के लिए बेरोजगारों ने खाईं हैं लाठियां
वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की। इस पर सेवायोजन कार्यालय में रजिस्टे्रशन के लिए बेरोजगारों की कतार लग गई। रजिस्टे्रशन के लिए उन्होंने लाठियां भी खाईं। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि बेरोजगारी भत्ता वाले बेरोजगार अधिक हैं।