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Library Day 2020 : डॉ. रंगनाथन ने खींचा था इलाहाबाद विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी का खाका

Library Day 2020 भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक कहलाने वाले एसआर रंगनाथन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी की रूपरेखा तैयार की थी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 02:40 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 05:18 PM (IST)
Library Day 2020 : डॉ. रंगनाथन ने खींचा था इलाहाबाद विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी का खाका
Library Day 2020 : डॉ. रंगनाथन ने खींचा था इलाहाबाद विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी का खाका

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वर्ष 1916 से लाइब्रेरी चल रही है। वर्ष 1973 में इविवि के पुस्तकालय को अपना भवन मिल गया। यहां एक बार में तकरीबन 900 विद्यार्थी बैठकर अध्ययन कर सकते हैं। तकरीबन साढ़े सात लाख पुस्तकें हैं। अलावा हजारों की संख्या में ई-जर्नल्स और ई-डाटाबेस तो हैं ही। क्‍या आपको पता है कि  इसके विस्तृत स्वरूप का खाका किसने खींचा था। जी हां, वह थे भारत में लाइब्रेरी साइंस के जनक डॉ. शियाली राममृत रंगनाथन। उन्‍होंने मार्च 1947 में इविवि की लाइब्रेरी का विस्‍तृत रूपरेखा बनाई थी। वर्ष 1957 से दरभंगा हाल में इसका संचालन शुरू हुआ। 

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भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक थे एसआर रंगनाथन

भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक कहलाने वाले एसआर रंगनाथन का जन्म 12 अगस्त 1892 को तमिलनाडु के तंजूर जिला स्थित शियाली गांव में हुआ था। इसलिए यह तारीख पुस्तकालय दिवस के रूप में भी मनाई जाती है। इविवि से भी उनका नाता रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. बीके सिंह बताते हैं कि डॉ. रंगनाथन मद्रास विश्वविद्यालय के प्रथम पुस्तकालयाध्यक्ष बने। शुरू में उन्हें कार्य रूचिकर लगा लेकिन एक हफ्ते में ही यह काम उन्हें नीरस समझ में आने लगेगा।

लंदन यात्रा के बाद लाइब्रेरी उन्नत करने में जुट गए

अधिकारियों को पता चला तो उन्होंने कहा कि डाॅ. रंगनाथन लाइब्रेरियनशिप में समकालीन पश्चिमी तौर-तरीकों का अध्ययन करने के लिए लंदन की यात्रा करें, यदि वापस आने पर भी कार्य में मन नहीं लगता है तो उनको बतौर गणित शिक्षक नियुक्ति दे दी जाएगी। लंदन यात्रा के बाद वह लाइब्रेरी उन्नत करने के काम में जुट गए। मद्रास विश्वविद्यालय में 20 साल की सेवाओं के बाद उप कुलपति से उनका विवाद हुआ तो उन्होंने 1945 में स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया और शोध में जुट गए।

1947 में इविवि में पुस्तकालय के विकास के लिए बनी कमेटी में शामिल हुए

उनको बनारस विश्वविद्यालय के उप कुलपति एस. राधाकृष्णन ने पुस्तकालय तकनीक और सेवाओं को व्यवस्थित, सुधार और आधुनिकीकरण के लिए निमंत्रित किया। वर्ष 1947 में वह इविवि में पुस्तकालय के विकास के लिए बनी कमेटी में शामिल हुए। इसी साल मार्च में उन्होंने जो सुझाव दिया, उसके अनुरूप इविवि की लाइब्रेरी तैयार हुई।


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