कोरोना संक्रमित कम घबराएंगे तो अस्पताल जाने से बच जाएंगे, अभी भी अनभिज्ञता हावी
HP Jagran Special विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी बीमारी में घबराहट में ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेवल चार फीसद तक घट जाता है। किसी भी बीमारी के हावी होने का सबसे बड़ा कारण भी यही माना जाता है।
प्रयागराज, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण लगातार तेज होते प्रहार के बीच में आपकी मजबूती भी रामबाण ही साबित होगी। विशेषज्ञों की राय है कि अगर मआप इससे कम घबराएंगे तो फिर अस्पताल जाने से बच जाएंगे। वैसे भी आजकल अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं, तो बेहतर ही है कि इस काल का बहादुरी से सामना करें।
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी बीमारी में घबराहट में ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेवल चार फीसद तक घट जाता है। किसी भी बीमारी के हावी होने का सबसे बड़ा कारण भी यही माना जाता है। कोरोना संक्रमण काल में लोग हर तीन घंटे पर ही ऑक्सीजन लेवल जांचने लगते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। कम से कम छह या सात घंटे बाद ही पल्स ऑक्सीमीटर से इसको जांचें तो बेहतर है।
संक्रमितों के साथ तीमारदारों में भी डर हावी: कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन लेवल घटने का डर संक्रमितों के साथ साथ तीमारदारों में हावी है। इसकी एक वजह अनभिज्ञता भी है। ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेवल बहुत हद तक अवस्था या स्थिति पर भी निर्भर करता है। जब आप घबराए हुए होते हैं तो ऑक्सीजन चार फीसद तक कम हो सकता है। ऑक्सीजन के सेचुरेशन लेवल को लेकर सतर्कता तो बरतें लेकिन बहुत परेशान कतई न हों।
अपने दिल की धड़कन बढ़ा रहे : पल्स ऑक्सीमीटर इन दिनों घरों की जरूरत बन चला है। लोग प्रत्येक घंटे ऑक्सीजन का स्तर नाप कर अपने दिल की धड़कन बढ़ा रहे हैं। तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय (बेली अस्पताल) में वरिष्ठ चिकित्सक एमके अखौरी का दावा है कि जितनी ज्यादा घबराहट होती है उससे ऑक्सीजन घटता है। कभी-कभी दो से चार प्रतिशत की गिरावट आ जाती है यानी मरीज पहले ठीक रहता है और अकारण ही उसकी तकलीफ बढ़ जाती है। घबराएंगे नहीं तो अस्पताल जाने की जरूरत शायद नहीं पड़ेगी।
घबराहट और बेचैनी से बढ़ जाती है हृदय की धड़कन: स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष और फेफड़ा रोग के मशहूर डाक्टर तारिक महमूद का तर्क कुछ अलग है। कहते हैैं कि घबराहट और बेचैनी से हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। असर खून की दौड़ान के साथ नसों में आता है। लोग इंडेक्स फिंगर पर ऑक्सीमीटर लगाते हैं तो उसकी रीडिंग मरीज के वास्तविक ऑक्सीजन लेवल से कम अथवा ज्यादा बताती है। डा. तारिक की सलाह है कि लोग ऑक्सीमीटर पर नहीं बल्कि अपने स्वस्थ होने की इच्छाशक्ति पर भरोसा करें।
दिन भर में अधिकतम तीन बार नापें: पल्स ऑक्सीमीटर के संबंध में फेफड़ा रोग एक्सपर्ट की सलाह है कि इंडेक्स फिंगर में इसे लगाकर 24 घंटे में अधिकतम तीन बार ही रीडिंग लेना चाहिए। अधिकतम 20 सेकंड में रीडिंग आ जाती है, डाक्टर को बताने के लिए उसे नोट कर लें। प्रत्येक घंटे रीडिंग लेने की कोशिश न करें।
मांग बढ़ते हो गई दोगुनी कीमत: पल्स ऑक्सीमीटर की मांग बीते दो सप्ताह में तेजी से बढ़ी है। दवा और सर्जिकल सामान की दुकानों पर इसकी कमी है। दुकानदार दोगुनी कीमत वसूल रहे हैं। दो माह पहले सात अथवा आठ सौ रुपये में मिलने वाला ऑक्सीमीटर अब 15 सौ से 2000 रुपये तक मिल रहा है। ब्रांडेड कंपनियां ऑनलाइन ऑर्डर में लोगों को लूट रही हैं। लीडर रोड पर मेडिकल स्टोर संचालक प्रमोद केसरवानी इस बात की तस्दीक करते हैैं कि 10 गुना मांग बढ़ गई है। वह कहते हैैं कि सामान्य दिनों में औसत एक या दो पल्स ऑक्सीमीटर बिकते थे, अब हर दिन 18-20 ग्राहक इसके लिए आ रहे हैैं।
आक्सीजन से जुड़े यह तथ्य भी जानें:
- सामान्य व्यक्ति का ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल करीब 96 फीसद होना चाहिए।
-ऑक्सीजन लेवल 90 फीसद से कम मिले तो करें चिंता, डाक्टर से लें सलाह। उम्र के अनुसार ऑक्सीजन सेचुरेशन में होता है उतार चढ़ाव, न हों परेशान
-दौड़कर या मेहनत करके आते हैं तो सेचुरेशन पांच मिनट रुक कर ही जांचें।
-मास्क लगाकर सेचुरेशन जांचने पर कुछ कम लेवल मिल सकता है।