वकीलों की इंस्पेक्टर से धूमनगंज थाने में झड़प, विरोध में कचहरी पर हंगामा Prayagraj News
धूमनगंज थाने में मारपीट के आरोपितों को छुड़ाने पहुंचे वकीलों और इंस्पेक्टर में झड़प हो गई। अभद्रता के आरोप पर तमाम वकील जुटे फोर्स के साथ अफसर भी पहुंचे।
प्रयागराज, जेएनएन। शांतिभंग के मामले में गिरफ्तार तीन आरोपितों की पैरवी के लिए धूमनगंज थाने में सोमवार की रात में वकील पहुंच गए। इसी को लेकर उनकी इंस्पेक्टर से झड़प हो गई। विरोध में बड़ी संख्या में वकील थाने पर जुटे तो पुलिस बल के साथ अफसर भी पहुंच गए। देर रात पुलिस अफसरों के समझाने व कार्रवाई का आश्वासन मिलने पर अधिवक्ताओं का आक्रोश शांत हुआ। वहीं मंगलवार की दोपहर में मामला एक बार फिर गरमा गया। वकीलों ने कचहरी के निकट अधिवक्ताओं ने हंगामा कर दिया। रास्ताजाम कर विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि पुलिस की ज्यादगी बढ़ गई है। वह निर्दोष लोगों को फर्जी आरोप में पकड़ रही है।
थाना प्रभारी कक्ष में चल रही बैठक के बीच पहुंचे वकील
रात करीब साढ़े 11 बजे का वाकया है। सीओ बृज नारायण सिंह धूमनगंज थाने में इंस्पेक्टर और उप निरीक्षकों के साथ लंबित मुकदमों के बारे में बात कर रहे थे। तभी जय प्रकाश पांडेय समेत दो वकील वहां पहुंचे। वे थाना प्रभारी कक्ष में चल रही बैठक के बीच पहुंच कर शांतिभंग (दफा 151) में गिरफ्तार मानिकचंद्र, जीतेंद्र और सनी कुमार को छोडऩे के लिए कहने लगे। इस पर इंस्पेक्टर शमशेर बहादुर सिंह ने उन्हें टोका और कहा कि उनका चालान हो चुका है। इसी बात पर वकीलों और इंस्पेक्टर के बीच झड़प हो गई।
कई थाने की फोर्स और पीआरवी ने भी थाने पहुंच कमान संभाली
वकीलों ने इंस्पेक्टर पर मारपीट का आरोप लगाते हुए फोन पर सूचना दी तो बड़ी संख्या में अधिवक्ता वहां पहुंच गए। अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी भी आ गए। बताते हैं कि वकीलों के उग्र तेवर को देखते हुए इंस्पेक्टर मालखाने में छिपे रहे। थाने में पुलिस और वकीलों के बीच टकराव की खबर मिलते ही कई थानों की पुलिस फोर्स और पीआरवी को भेज दिया गया।
दारोगा और मुंशी लाइन हाजिर, इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच के आदेश
एसपी क्राइम आशुतोष मिश्र भी पहुंचे और वकीलों को शांत कराने का प्रयास किया। वकील मुकदमा लिखने पर अड़े थे। एसपी क्राइम ने अधिकारियों से बात कर संबंधित मामले में दारोगा हर्ष वीर सिंह और मुंशी विजेंद्र को लाइन हाजिर कर दिया। साथ ही इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच का आदेश सीओ को दिया। इसके बाद अधिवक्ताओं का आक्रोश शांत हुआ। सीओ ने बताया कि आरोपितों का चालान हो चुका था इसलिए उन्हें छोडऩा संभव नहीं था पर वकील दबाव बना रहे थे।