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विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में वकीलों ने की बहस

अशोक नगर कैंट निवासी जवाहर यादव उर्फ पंडित उस वक्त झूंसी के विधायक थे। 13 अगस्त 1996 की शाम उनकी हत्या कर दी गई थी। मामले में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया और उनके भाई उदय भान और सूरज भान आरोपित हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 10:55 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:55 AM (IST)
विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में वकीलों ने की बहस
विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में वकीलों ने की बहस

प्रयागराज : विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड की सुनवाई बुधवार को अपर जिला जज रमेश चंद्र के समक्ष हुई। इसमें बचाव पक्ष, अभियोजन और पीडि़त पक्ष के अधिवक्ताओं ने बहस की।

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अभियोजन की ओर से शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि व आरपी सिंह ने अपनी दलील में धारा 321 का उल्लेख किया और बताया कि सरकार किसी भी स्तर पर मुकदमे को वापस ले सकती है। मुकदमा वापसी के स्तर पर गवाहों के साक्ष्य व बचाव पक्ष के साक्ष्य को मूल्यांकन नहीं होता है। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अपनी दलील में कहा गया कि धारा 321 में उल्लेखित प्राविधान का अनुपालन करते हुए सरकार ने केस वापसी का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में शासन में न्याय विभाग के अधिकारियों की सहमति पर राज्यपाल द्वारा केस वापसी की संस्तुति दी है। पीड़ित पक्ष की ओर से उठाई गई दलीलों को रोकते हुए बचाव पक्ष की ओर से आपत्ति उठाई गई कि इस केस में वे किस अधिकार क्षेत्र से दलील दे रहे हैं। वकालतनामा सुलाकी यादव का था। उनकी मृत्यु होने के बाद इस वकालतनामा की कोई अहमियत नहीं रही। कोर्ट ने शेष दलीलों को पेश करने के लिए पक्षकारों को पंद्रह नवंबर को आमंत्रित किया है। 13 अगस्त 1996 को हुई थी हत्या :

अशोक नगर कैंट निवासी जवाहर यादव उर्फ पंडित उस वक्त झूंसी के विधायक थे। वह शराब और बालू का भी कारोबार करते थे। 13 अगस्त की शाम करीब सवा छह बजे वह जार्जटाउन थाना क्षेत्र के लाउदर रोड स्थित शराब के दफ्तर से मारुति कार में ड्राइवर गुलाब और कल्लू के साथ घर जा रहे थे। सिविल लाइंस स्थित पैलेस सिनेमा के पास मारुति वैन सवार लोगों ने ताबड़तोड़ फाय¨रग की। इसमें विधायक जवाहर पंडित, ड्राइवर गुलाब व कमल कुमार दीक्षित की मौत हो गई थी, जबकि कल्लन यादव व पंकज घायल हुए थे। ़मामले में पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई उदयभान व सूरजभान से खतरा जाहिर करते हुए शासन तक से सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन नहीं मिली। घटना के दिन वह भी टाटा सूमो से लोचन व अभिमन्यु के साथ-साथ जवाहर पंडित के पीछे-पीछे चल रहे थे। आरोप है कि रास्ते में रामचंद्र ने हत्या के लिए ललकारा तो बाकी लोगों ने फाय¨रग शुरू की थी। हालांकि अब वादी मुकदमा सुलाकी यादव की मौत हो चुकी है।


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