Move to Jagran APP

लाठी के हैं शौकीन तो कौशांबी के इस मोहल्ले में आएं, यहां घर-घर बनती हैं लाठियां

प्रयागराज-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसा कौशांबी जिले का मूरतगंज कस्बा लाठियों के नाम पर पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। कस्बे के एक क्षेत्र में लाठी मुहल्ला ही आबाद है जहां पर दो दर्जन से अधिक परिवार लाठी के कारोबार में लगे हैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 03:31 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 03:31 PM (IST)
लाठी के हैं शौकीन तो कौशांबी के इस मोहल्ले में आएं, यहां घर-घर बनती हैं लाठियां
कौशांबी जिले का मूरतगंज कस्बा लाठी के लिए मशहूर है। यहां हर घर में लाठी बनती है।

प्रयागराज, जेएनएन। जिसकी लाठी उसकी भैंस, लाठी का चलता है जोर आदि कहावतें तो आपने सुनी ही होंगी। लाठी भारतीय संस्कृति में रची बसी है। किसी के लिए यह सहारा होती थी तो किसी के लिए अस्त्र का काम करती थी। एक जमाना था जब लाठी के बल पर किसी को भी झुका दिया जाता था। लाठी बनाने के साथ उसको चलाना भी एक कला है। लाठी व लठैत एक दूसरे के पर्याय माने जाते थे किंतु अब लाठी गुजरे जमाने की बात हो गई है। लेकिन कौशांबी जिले का मूरतगंज कस्बा लाठी के लिए मशहूर है। इससे बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी भी जुड़ी है।  

loksabha election banner

मूरतगंज कस्बे में हाईवे के किनारे आबाद है लाठी मोहल्ला

प्रयागराज-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसा कौशांबी जिले का मूरतगंज कस्बा लाठियों के नाम पर पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। कस्बे के एक क्षेत्र में लाठी मुहल्ला ही आबाद है जहां पर दो दर्जन से अधिक परिवार लाठी के कारोबार में लगे हैं। पूरे वर्ष ये परिवार लाठी बनाने और बेचने का ही काम करते हैं। लाठी बनाने का यह काम पांच-दस साल से नहीं बल्कि कई पीढिय़ों से चल रहा है। मूरतगंज की बनी लाठियों की मांग कई जिलों में है। तीज-त्योहार में आसपास लगने वाले मेलों-ठेलों में यहां की बनी लाठी खूब बिकती है।

खूबसूरत होने के साथ मजबूत भी होती हैं यहां की लाठियां

मूरतगंज के लाठी मोहाल नामक इस स्थान पर बनने वाली लाठियां खूबसूरत होने के साथ बहुत मजबूत भी होती हैं। बेहद खूबसूरत व नक्काशीदार लाठियां बरबस ही लोगों का मन मोह लेती हैं।  लाठी मोहाल के कारोबारी हरिमोहन, श्यामबिहारी, किशनलाल, हुसैनी और महावीर सिंह, मुमताज अली बताते हैं कि किसी के घर पर अखाड़े में करतब दिखाने वाली लाठी बनती है, तो कहीं बुजुर्गों के सहारे के लिए लाठी बनती है। सुरक्षा के लिए अलग व मजबूत लाठियां बनती हैं। यह लाठियां कई आकार व प्रकार की होती हैं। उसी के अनुसार उनका मूल्य भी तय होता है।

लाठी बनाने के लिए फर्रुखाबाद से लाते हैं कच्चा माल

लाठी का कारोबार भले ही मूरतगंज के नाम से प्रसिद्ध है, लेकिन यहां के कारोबारी कच्चा माल (लाठी बनाने के लिए खास बांस) फर्रुखाबाद जिले से लाते हैं। लाठी कारोबारियों व कारीगरों का कहना है कि पहले लाठी का चलन ज्यादा था। ग्रामीण अंचल में हर घर में दो-चार लाठियां तो रहती ही थीं। बड़े बुजुर्गों को सहारा देने के साथ सुरक्षा के लिए भी इनका प्रयोग किया जाता था लेकिन अब इनकी मांग काफी घट गई है। कच्चा माल में तेजी आने के साथ लाठियों के खरीदार भी कम हो गए हैं। दिनेश व अनिरुद्ध ने बताया कि पहले पुलिस भी बांस की लाठी प्रयोग करती थी जिससे हमारी लाठी की मांग थी। अब पुलिस अधिकांशत: फाइबर की लाठी का प्रयोग करती है जिससे हमारे कारोबार पर बहुत असर पड़ा है। कोविड-19 ने कारोबार को प्रभावित किया है। पूरे प्रदेश में बाजारों के बंद होने से मांग कम हुई वहीं मेले-ठेले पर लगे प्रतिबंधों से हमारी कमर टूट गई।

लाठी बनाने के लिए आग में तपाया जाता है खास बांस

लाठियां बनाने के लिए खास किस्म के बांस का इस्तेमाल किया जाता है। लाठी के कारीगर राधेश्याम, दिनेश, राजनारायण, ओमप्रकाश, अमरनाथ, पप्पू, अनिरुद्ध के अनुसार टेढ़े-मेढ़े इन बांसों को आग की धीमी लपटों के बीच रखकर उन्हें सीधा किया जाता है। आग में रखने पर बांस नरम हो जाता है फिर उस पर दबाव डालकर सीधा करते हैं और लाठी का आकार दिया जाता है। आग की धीमी लपटों से ही लाठी में डिजाइन भी बनाई जाती है। एक लाठी बनाने में तकरीबन आधा से पौन घंटे का समय लगता है। दिन भर में एक कारीगर 15-20 लाठी  बना लेता है। लाठियों के तैयार होने के बाद उनपर नक्काशी भी की जाती है।

कारोबार में महिलाएं भी बंटाती हैं पुरुषों का हाथ

लाठी मोहाल में घुसते ही लाठी की दुकानों पर पुरुषों के साथ महिलाएं भी बड़ी संख्या में नजर आती हैं जो लाठी दिखाने से लेकर उनकी विशेषता बताती हैं और ग्राहक से मोलभाव भी करती हैं। कारोबारी हरिमोहन, शिवमोहन के अनुसार हमारी महिलाएं कारोबार में पूरी तरह से शरीक होती हैं। खानपान निपटाने के बाद वे दुकान पर लाठियों को बेचने का काम कर लेती हैं जबकि पुरुष कच्चा माल मंगाने, लाठी बनाने से लेकर अन्य जिम्मेदारी संभालते हैं। बताया कि छोठी घरेलू लाठी 50 रुपये से सौ रुपये और बड़ी मजबूत लाठियां सौ से दो सौ रुपये में बिकती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.