Krishna Janmashtami 2020 : प्रयागराज के इस्कॉन सहित मठ-मंदिरों में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम
Krishna Janmashtami 2020 इस्कॉन व अन्य मठ-मंदिरों में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाने की तैयारी हो रही है। रात में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होगा।
प्रयागराज, जेएनएन। दूसरे दिन बुधवार को भी प्रयागराज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। रात में जन्मोत्सव मनाने की जोरदार तैयारी है। हालांकि सुबह से ही रुक-रुक कर कभी रिमझिम तो कभी झमाझम बारिश भी हो रही है। फिर भी भक्तों का उत्साह कम नहीं है। मध्य रात्रि में भगवान का जन्मोत्सव मनाने की तैयारी है। मठों और मंदिरों में भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
मंगलवार को गृहस्थों ने मनाई थी जन्माष्टमी
जन्माष्टमी पर्व के पहले दिन मंगलवार को गृहस्थ भक्तों ने प्रभु का प्राकट्य उत्सव मनाया था। घर-मंदिरों में भजन-कीर्तन व नृत्य के जरिए कान्हा की लीलाओं का बखान हुआ। स्वर्ण, रत्न जडि़त आकर्षक परिधान कान्हा को धारण कराया गया। श्रृंगार के बाद उनका मोहक स्वरूप देख भक्त भावविभोर हो गए। कुछ लोगों ने व्रत रखकर कान्हा के प्रति अपनी भक्ति का भाव प्रकट किया। कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति के कारण लोग बड़े आयोजन नहीं कर पाए, लेकिन घरों व मंदिरों में कम संख्या में एकत्र हुए।
इस्कॉन सहित मठ-मंदिरों में आज मनेगी जन्माष्टमी
इस्कॉन व अन्य मठ-मंदिरों में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाने की तैयारी हो रही है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, दिन बुधवार, रोहिणी नक्षत्र व वृष राशि में चंद्रमा संचरण के समय हुआ था। इस बार बुधवार को सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में संचरण करेेंगे। साथ ही उदया तिथि के अनुसार अष्टमी तिथि का योग भी मिल रहा है। इस कारण संत-महात्मा आज जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे।
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण भक्तों की नहीं लगेगी भीड़
कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव सादगी से चुनिंदा लोगों के बीच मनाया जाएगा। रात होने पर चांदी के कलशों में रखे पंचामृत से भगवान श्रीकृष्ण का महाभिषेक होगा। वृंदावन से आए वस्त्र प्रभु धारण कराकर महा आरती की जाएगी। साथ ही प्रभु को 56 भोग अर्पित किया जाएगा। गुरुवार को इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद का जन्मोत्सव श्रद्धा से मनाया जाएगा।
आभूषणों से सजे कान्हा
प्राचीन महाशक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर मीरापुर स्थित श्रीराधाकृष्ण की प्रतिमा का आभूषण व वस्त्रों से मोहक श्रृंगार किया गया है। अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा व महामंत्री धीरज नागर के नेतृत्व में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। मंदिर में मंगलवार की मध्य रात्रि तक भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही। वहीं, कल्याणी देवी मंदिर में राधाकृष्ण का पुष्पों, जरीगोटा व आभूषणों से श्रृंगार किया गया। मध्यरात्रि में वैदिक मंत्र एवं शंख-घडिय़ाल से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया।
ध्यान के आभामंडल में मनाया जन्माष्टमी
क्रियायोग आश्रम व अनुसंधान संस्थान में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व क्रियायोग ध्यान के आभामंडल में मनाया गया। योगी सत्यम ने बताया कि जन्माष्टमी मनाने का प्रमुख लक्ष्य कंस भाव का कृष्ण भाव में रूपांतरण करना है। क्रियायोग ध्यान की गहराई में उतरने पर कंस शब्द के अंदर छिपे ज्ञान का अनुभव होता है। कंस शब्द 'कं' व 'स' से मिलकर बना है। 'कं' का अभिप्राय कर्म की निरंतरता है और 'स' का अभिप्राय श्वांस (जीवन) से है। भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा दी है कि कर्म करने का लक्ष्य जीवन की अनुभूति और विस्तार से है।