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प्रयागराज की प्रेरणा से दुनिया तक पहुंचा गीता का ज्ञान

मनुष्य को उसके आचरण व्यवहार व संस्कारों का ज्ञान देने वाली गीता की जयंती शुक्रवार को मनाई जाएगी। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था। कुरुक्षेत्र के बाद गीता का ज्ञान कहीं से प्रवाहित हुआ तो वह है तीर्थराज प्रयाग की पवित्र धरती। इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद को प्रयागराज प्रवास के दौरान भक्ति व वैराग्य की प्रेरणा जागृत हुई। उन्होंने इस्कॉन की स्थापना कर दुनियाभर में गीता का ज्ञान प्रवाहित किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 06:06 AM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 06:06 AM (IST)
प्रयागराज की प्रेरणा से दुनिया तक पहुंचा गीता का ज्ञान
प्रयागराज की प्रेरणा से दुनिया तक पहुंचा गीता का ज्ञान

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : मनुष्य को उसके आचरण, व्यवहार व संस्कारों का ज्ञान देने वाली गीता की जयंती शुक्रवार को मनाई जाएगी। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था। कुरुक्षेत्र के बाद गीता का ज्ञान कहीं से प्रवाहित हुआ तो वह है तीर्थराज प्रयाग की पवित्र धरती। इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद को प्रयागराज प्रवास के दौरान भक्ति व वैराग्य की प्रेरणा जागृत हुई। उन्होंने इस्कॉन की स्थापना कर दुनियाभर में गीता का ज्ञान प्रवाहित किया।

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कोलकाता में जन्मे प्रभुपाद का पूर्व का नाम अभयचरण डे था। उनके पिता गौरमोहन डे कपडे़ के कारोबारी थे। कारोबार के सिलसिले में अभयचरण परिवार सहित प्रयागराज आ गए। साउथ मलाका मोहल्ले में किराए के घर में संचालित रूप गौड़ीय मठ के करीब एक मकान में रहने लगे। वह जानसेनगंज में स्वामी विवेकानंद मार्ग स्थित इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक वाली बिल्डिंग में दवा की एजेंसी चलाते थे। यही उनके बड़े बेटे का जन्म हुआ तो उसका नाम प्रयागराज रखा। उनकी दीक्षा-भूमि भी यहीं रही। रूप गौड़ीय मठ के संत श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ने 1932 में प्रभुपाद को दीक्षा देकर चैतन्य श्रीकृष्ण के प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरित किया था। उसके बाद ही अभयचरण डे, अभयचरणारविंद दास 'एसी' और भक्ति वेदात की डिग्री लेने के बाद एसी भक्तिवेदात स्वामी प्रभुपाद हो गए। प्रभुपाद 1936 तक प्रयागराज में रहे और फिर कोलकाता चले गए। इस्कॉन मंदिर के प्रभारी वेणुविजय दास बताते हैं कि प्रभुपाद ने प्रयागराज में गीता ज्ञान को आत्मसात किया, फिर उसे दुनियाभर में पहुंचाया। 10 से 11.29 बजे तक करें पूजन

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि गीता जयंती पर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना चाहिए। गीता के द्वादश अध्याय अर्थात 12वें अध्याय का पाठ करना पुण्यकारी रहेगा। शुक्रवार को पूजन का उचित मुहुर्त कुंभ लग्न में सुबह 10 से 11.29 बजे तक है।


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