अरे वाह...लॉकडाउन में सजाया किचेन गार्डेन अब दे रहा आनंद Prayagraj News
शहर के प्लास्टिक सर्जन डॉ.कुलदीप गुप्ता बताते हैं कि कोरोना संकट में कोई काम नहीं होने पर अपने गार्डेन में पूरा समय दिया। उसमें विभिन्न सब्जियां लगाई। गेंदा और गुलाब के अलाव फूल के जो अन्य पौधे थे उनकी कलम काट कर गार्डेन को और समृद्धि किया।
प्रयागराज, जेएनएन। लॉकडाउन में बने किचेन गार्डेन अब लोगोंं को सुख दे रहे हैं। कोरोना आपदा से घर में कैद हुए लोगों के लिए जब जीना मुश्किल हुआ तो उन्होंने व्यस्त और बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई तरीके निकाले। प्रकृति की खूबसूरती से अपने को जोड़ा। प्रकृति से जुड़ाव के लिए शहरियों ने अपने घर में ही किचेन गार्डेन बना लिया। किसी ने अपने घर की छत पर तो कइयों ने घर के आगे और बालकनी में ही फूल के पौधे के साथ सब्जी की खेती शुरू कर दी। घर के कबाड़ हो चुके ड्रम, बाल्टी एवं डब्बे को ही रंग रोगन करके उसे गार्डेन में रखा और मिट्टी खाद डालकर सब्जी उगानी शुरू कर दी। अब जैविक खाद से ऐसे किचेन गार्डेन में पर्याप्त मात्रा में सब्जी की पैदावार हो रही है। यह सब्जी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद और मनमुताबिक भी है।
घर के लॉन में उगाई सब्जियां
पेशे से रेलवे में इंजीनियर अजय शुक्ला एवं उनकी पत्नी वैशाली ने स्वस्थ रहने के लिए घर के लॉन को किचेन गार्डेन में बदल दिया। उन्होंने गेंदा और गुलाब की क्यारी में सब्जी की बीज रोपे। गार्डेन में हल्दी की खेती भी की। लौकी, भिड़ी, नेनुआ, धनिया, बैंगन,मूली, पालक, टमाटर की खेती की। अजय बताते हैं कि लॉकडाउन में घर से बाहर नहीं निकलने पर सब्जी उगाने का ख्याल आया। बीच में लॉकडाउन से थोड़ा छूट मिलने पर सब्जी के बीज मंगाए। दूधवाले से खाद मंगवाई और सब्जी के बीज क्यारी में बो दिए। अब इतनी सब्जी पैदा हो रही कि उसे अपने मित्रों में बांट रहा हूं।
कोई काम नहीं होने पर सब्जियां उगाई
शहर के प्लास्टिक सर्जन डॉ.कुलदीप गुप्ता बताते हैं कि कोरोना संकट में कोई काम नहीं होने पर अपने गार्डेन में पूरा समय दिया। उसमें विभिन्न सब्जियां लगाई। पत्नी और बच्चों के पूरा दिन इसी गार्डेन में लगाया। गेंदा और गुलाब के अलाव फूल के जो अन्य पौधे थे उनकी कलम काट कर गार्डेन को और समृद्धि किया। सब्जियों के बीज मंगवाए। हरी सब्जियां मेथी, पालक, चौराई, लौकी, नेनुआ आदि की खेती की। अब इतनी सब्जियोंं की पैदावार हो जा रही है इसको अगल-बगल बांटना पड़ रहा है। जैविक खाद से सब्जियों की खेती से इसका स्वाद भी अलग है।
शहर की नर्सरियों में बढ़ गए ग्राहक
कोरोना आपदा में किचेन गार्डेन की वजह से शहर की नर्सरियों में पौधा लेने वाले ग्राहकों की संख्या बढ़ गई। बक्शी बांध सहित महात्मा गांधी मार्ग पर नर्सरियों की संख्या काफी है। सिविल लाइंस स्थित एक नर्सरी संचालक राजू कुमार ने बताया कि पहले बंधे ग्राहक थे। वही समय-समय पर आकर पौधे ले जाते थे। इसीबीच नए ग्राहकों की संख्या में 30 से 40 फीसदी की वृद्धि हो गई।
फ्लैटों की बालकनी का किया सदुपयोग
मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के फ्लैटों में रहने वालों की यहां जगह की काफी कमी रहती है। ऐसे में उन्होंने इंडोर बालकनी में ही अपना किचेन गार्डेन बनाया। नर्सरी संचालक नरेश कुमार का कहना है कि बालकनी में पौधे लगाने वालों में इंडोर प्लांट की मांग ज्यादा है। मनी प्लांट, बैंबू, पीस लिली, कामिनी, रबर प्लांट आदि पौधे ज्यादा बिक रहे हैं। इन्हें धूप की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। ऐसे में इन्हें लोग खरीदना ज्यादा पंसद कर रहे हैं। यह पौधे बहुत महंगे नहीं होते हैं। इनकी कीमत 100 रुपये से शुरू होती है।
किचेन गार्डेन के लिए यह है जरूरी बातें
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.एनबी सिंह बताते हैं कि किचेन गार्डेन के लिए पौधों का चुनाव करते समय मिट्टी, जलवायु और उसके प्रतिदिन की जरूरतों का ख्याल जरूर रखें। शुरू के दिनों में ऐसे पौधों की देखभाल की बहुत जरूरत पड़ती है। उन्हें समय-समय पर पोषक तत्व देना पड़ेगा। पौधों को लगातार पानी देना चाहिए। पानी निकासी की व्यवस्था भी होनी चाहिए। बहुत ज्यादा या बहुत कम पानी पौधों के लिए नुकसानदायक होता है। क्योंकि पौधों की जड़े इतनी गहरी नहीं होती है कि मिट्टी से पानी सोख सके। प्रो.सिंह बताते हैं कि पौधों को रोज पांच से छह घंटे सूरज की रोशनी मिलना भी जरूरी है। ऐसे में अपना गार्डेन छांव में न बनाएं।