करवरिया बंधुओं की कभी प्रयागराज समेत आधा दर्जन जिलों की सियासत में तूती बोलती थी Prayagraj News
जवाहर पंडित हत्याकांड के बाद करवरिया बंधुओं की ओर से कलराज मिश्र ब्रह्मïदत्त द्विवेदी साथ थे। वहीं पीडि़त परिवार के घर तत्कालीन रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव तक पहुंचे थे।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रदेश की राजनीति में तूफान मचा देने वाले विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में निचली अदालत से दोषी सिद्ध किए गए करवरिया बंधुओं की कभी प्रयागराज समेत आधा दर्जन जिलों की सियासत में तूती बोलती थी। इस सियासी परिवार का पड़ोसी जिलों कौशांबी, बांदा, चित्रकूट, फतेहपुर, प्रतापगढ़ तक में रसूख था। यही नहीं सांसद रहे कपिलमुनि करवरिया व विधायक रहे उदयभान करवरिया के बड़े नेताओं से करीबी रिश्ते थे। जवाहर पंडित हत्याकांड में जब करवरिया बंधु नामजद हुए थे तो तत्कालीन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्र और वरिष्ठ नेता ब्रह्मïदत्त द्विवेदी तक इस परिवार के साथ खड़े थे। कलराज मिश्र ने तो बयान भी दिया था कि हत्याकांड के दिन कपिलमुनि करवरिया उनके साथ लखनऊ में थे। कलराज मिश्र वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल हैैं।
तीनों भाइयों ने भाजपा से ही राजनीति शुरू की थी
करवरिया परिवार ने आजादी के बाद से राजनीति में कदम रख दिया था। उदयभान के बाबा जगत नारायण करवरिया वर्ष 1967 में सिराथू विधानसभा क्षेत्र से एमएलए का चुनाव निर्दलीय लड़े थे। तब वहां से हेमवती नंदन बहुगुणा विजयी हुए थे। उदयभान के पिता वशिष्ट नारायण करवरिया भी प्रयागराज के शहर दक्षिणी और उत्तरी विधानसभा क्षेत्र से एमएलए का चुनाव निर्दलीय लड़ चुके हैैं। हालांकि सियासत में सफलता कपिलमुनि, उदयभान और सूरजभान को ही मिली। तीनों भाइयों ने भाजपा से ही राजनीति शुरू की। विधि स्नातक कपिलमुनि पहला चुनाव जिला पंचायत सदस्य का लड़े, जिसमें वह विजयी हुए और फिर कौशांबी के जिला पंचायत अध्यक्ष हुए। परिवार में पहली लालबत्ती उनके माध्यम से ही पहुंची थी। इसी बीच उदयभान करवरिया कौशांबी के जिला सहकारी बैैंक के चेयरमैन बन गए।
उदयभान 2002 में भाजपा के विधायक बने
वर्ष 2002 में भाजपा ने उदयभान को प्रयागराज के बारा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया, जिसमें वह विजयी हो गए। वर्ष 2007 के चुनाव में भी पार्टी ने उन्हें बारा से उम्मीदवार घोषित किया तो वह दोबारा जीते। इसी दौरान 2007 में विधान परिषद के चुनाव में सूरजभान विजयी हो गए। स्नातक सूरजभान वर्ष 2005 में कौशांबी के मंझनपुर के ब्लाक प्रमुख बने थे। एमएलसी होने के बाद उन्होंने अपने चचेरे भाई शेष नारायण करवरिया को ब्लाक प्रमुख बनवा दिया।
वह करवरिया परिवार के लिए राजनीति में स्वर्णिम काल था
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कपिलमुनि को टिकट नहीं दिया तो पार्टी छोड़ दी और फिर उन्होंने बसपा के टिकट पर फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजयी होकर राजनीति में अपना दमखम दिखाया। वह करवरिया परिवार के लिए राजनीति में स्वर्णिम काल था। इसके बाद उदयभान को वर्ष 2012 में शहर उत्तरी से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था, मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तब कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह विजयी हुए थे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर से बसपा प्रत्याशी कपिलमुनि करवरिया को भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य से शिकस्त मिली थी। इसके बाद जवाहर यादव हत्याकांड में वर्ष 2014 में करवरिया बंधुओं को जेल जाना पड़ा। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया को मेजा विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया। परास्नातक नीलम विजय पताका फहराकर विधानसभा में पहुंचीं।
बसपा से निष्कासित हैैं कपिल व सूरजभान
कपिलमुनि करवरिया और सूरजभान करवरिया को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी ने निष्कासित कर दिया था। तब से दोनों भाई किसी भी राजनैतिक दल में नहीं है। दरअसल, इसके बाद से कपिलमुनि और सूरजभान अब तक जेल में ही हैैं।
हत्या के बाद आए थे मुलायम सिंह
इस हाईप्रोफाइल मर्डर केस में दोनों ओर से राजनैतिक दिग्गज खड़े थे। जवाहर पंडित की हत्या के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी आए थे। विधायक जवाहर यादव के अशोक नगर स्थित आवास गए थे और फिर अंत्येष्टि में भी शामिल हुए थे।