कल्पवासी प्रसंग : सालभर शिक्षा दान, एक माह खिचड़ी दान
जागरण संवाददाता प्रयागराज पेशे से शिक्षक बच्चों केा शिक्षा देने के साथ कल्पवास करते हैं।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : पेशे से शिक्षक होने के नाते एक तरफ सालभर बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते हैं। वहीं, दूसरी तरफ एक माह संगम तीरे कल्पवास कर लोगों को खिचड़ी दानकर पुण्य कमा रहे हैं। साथ ही गंगा मैया का नाम का जप भी कर रहे हैं।
नवाबगंज के बेरावां गांव निवासी सचिंद्र नारायण पांडेय प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर में प्रधानाध्यापक हैं। सचिंद्र परिवार संग पिछले 11 साल से कल्पवास कर रहे हैं। साल भर विद्यालय के बच्चों को शिक्षा दान करते हैं। वहीं, एक माह का समय निकाल कर संगम में वह लोगों को तरह-तरह की खिचड़ी खिलाते हैं। इसमें उनकी पत्नी और बच्चे भी साथ दे रहे हैं। मां गंगा की कृपा से सब काम हो रहा है
सचिंद्र नारायण बताते हैं कि दो बेटों में बड़ा बेटा हाईकोर्ट में सीनियर वकील है। छोटा बेटा नामी कंपनी में प्राइवेट जॉब कर रहा है। दोनों बहुएं घर में ही रहती हैं। बड़ा नाती इंजीनियरिग कर रहा है। मां गंगा की ही कृपा है कि आज परिवार खुशहाल है। बड़ी सी बड़ी चुनौतियों को सब मिलकर निपटते हैं। एक माह कल्पवास में दान करने का मौका मिलता है। संगम किनारे बेसहारों को तरह-तरह के व्यंजन खिलाते हैं। सचिंद्र का मानना है कि एक माह दान करने से पूरे साल भर मन प्रसन्न रहता है।
- सालभर से रहता है माघ का इंतजार
सचिंद्र नारायण बताते हैं कि कल्पवास शुरू होने का उन्हें सालभर से इंतजार रहता है। इस बार कोरोना काल में माघ मेले में सुविधाएं कम हुई हैं, लेकिन मां की कृपा से सब कुछ ठीक हो जाएगा। वह सीताराम जयराम जी महराज के यहां रह रहे हैं। 11 जनवरी को संगम आया था। 27 फरवरी को स्नान कर वापस चले जाएंगे।