आपातकाल में जस्टिस खन्ना ने लिया था महत्वपूर्ण निर्णय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा वेबिनार का आयोजन
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के विधि संकाय की तरफ से बुधवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटना के प्रोफेसर अनिरुद्ध प्रसाद ने एडीएम जबलपुर बनाम शिवाकांत शुक्ल एक समीक्षात्मक विश्लेषण विषय पर विचार व्यक्त किए।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के विधि संकाय की तरफ से बुधवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटना के प्रोफेसर अनिरुद्ध प्रसाद ने एडीएम जबलपुर बनाम शिवाकांत शुक्ल : एक समीक्षात्मक विश्लेषण विषय पर विचार व्यक्त किए।
जस्टिस खन्ना के फैसले की विश्व में खूब हुई आलोचना
उन्होंने बताया कि 28 अप्रैल 1976 को सप्रीम कोर्ट ने इस वाद पर निर्णय लिया था। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद निर्णय माना जाता है। उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल 1975 को आपातकाल लागू किया था। 27 अप्रैल को राष्ट्रपति ने यह आदेश जारी किया कि संविधान के अनुच्छेद-359 के अंतर्गत न्यायपालिका में नागरिकों के वाद दायर करने के अधिकार को स्थगित किया जाता है। 25 अप्रैल को आपातकाल आंतरिक अव्यवस्था के आधार पर लागू किया गया था। अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवानी, जयप्रकाश नारायण, मुरारजी देसाई सहित अन्य प्रमुख नेताओं को जेल में निरुद्ध कर दिया गया था। देश के नौ राज्यों के उच्च न्यायालयों ने राष्ट्रपति के आदेश को नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ सभी उच्च न्यायालयों की याचिकाओं को अपने पास सुनवाई के लिए मंगवा लिया। सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से निर्णय दिया कि राष्ट्रपति का आदेश सही है। राष्ट्रपति नागिरकों के मौलिक अधिकारों को स्थगित कर सकते हैं। नागरिकों द्वारा किसी भी न्यायालय में मूल अधिकारों के लिए वाद नहीं दायर किए जा सकते है। न्यायमूर्ति एचआर खन्ना ने अपने अल्पमत के निर्णय में नागरिकों के पक्ष में निर्णय दिया। इस निर्णय की पूरे विश्व में आलोचना की जाती है। तत्कालीन सरकार ने एचआर खन्ना को मुख्य न्यायधीश नहीं बनाया लेकिन खन्ना का महत्वपूर्ण निर्णय विश्व में मानवाधिकारों के रक्षा के लिए मापदंड माना जाता है। अध्यक्षता कर रहे विधि संकाय डीन प्रो. जेएस सिंह ने न्यायमूॢत एचआर खन्ना को भारत का सबसे महान न्यायधीश बताया।