पंडित जवाहर लाल नेहरू हो गए थे इतना नाराज कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन की स्थाई सदस्यता से दे दिया था त्यागपत्र, जानिए क्या थी वजह
अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रांकलिन रुजवेल्ट की पत्नी एलिनोर रुजवेल्ट 1953 में प्रयाग आई थी। उस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने रुजवेल्ट को यूनियन में लाने का प्रयास किया था। छात्रों के हंगामे से नाराज होकर नेहरू ने यूनियन की स्थाई सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था।
प्रयागराज, जेएनएन। देश की राजनीति में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का आजादी के आंदोलन से ही दखल रहा है। यहां से निकले छात्रनेता राजनीति के सर्वोच्च पद तक पहुंचे हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की यूनियन का सदस्य होना भी गौरव की बात रही है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के स्थाई सदस्य रहे हैं। इस विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद उपाधि के साथ यूनियन का सदस्य मनोनीत किया था। हालांकि बाद में छात्रों के एक आंदोलन से नाराज होकर नेहरू ने यूनियन की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था।
प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने दी थी मानद उपाधि
इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के वर्ष 1963-64 में अध्यक्ष रहे श्याम कृष्ण पांडेय बताते हैं कि यहां की छात्र राजनीति का आजादी के समय से ही दबदबा था। यूनियन के पदाधिकारी मेधावी छात्र हुआ करते थे। 1950 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने मानद उपाधि दी थी। तभी उन्हें यूनियन का स्थाई सदस्य बनाया गया था। सुभाष चंद्र बोस समेत अन्य कई बड़े नेताओं को भी आजादी के पहले ही यूनियन का सदस्य बनाया गया था। पांडेय बताते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति रहे फ्रांकलिन रुजवेल्ट की पत्नी एलिनोर रुजवेल्ट 1953 में प्रयाग आई थी। उस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने रुजवेल्ट को यूनियन में लाने का प्रयास किया था। इसको लेकर हंगामा भी हुआ था। छात्रों के इस हंगामे से नाराज होकर नेहरू ने यूनियन की स्थाई सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था।
नेहरू से त्यागपत्र वापस लेने की मांग को लेकर छात्रों ने किया था प्रदर्शन
नेहरू के इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन से त्यागपत्र वापस लेने की मांग को लेकर छात्रों ने आनंद भवन के सामने प्रदर्शन किया था। साठ के दशक मे इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के अध्यक्ष रहे विनोद चंद्र दुबे बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने अप्रैल 1953 में प्रदेश की सभी छात्र यूनियन की स्वायत्तता को समाप्त करने के लिए एक बिल पास किया था। इस बिल के माध्यम से अधिकारियों का हस्तक्षेप यूनियन में बढ़ा दिया था। 18 जुलाई 1953 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू आनंद भवन आए थे। उनके आने की खबर पर उस समय के यूनियन के अध्यक्ष वीरभद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक हजार से अधिक छात्र नेहरू के निवास आनंद भवन पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। उस समय नेहरू आनंद भवन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। छात्र नेहरू जी यह मांग, वापस हो मुंशी फरमान के नारे लगाने लगे। छात्रों का शोर सुनकर नेहरू जी आनंद भवन से बाहर आए। यूनियन के अध्यक्ष वीरभद्र प्रताप सिंह ने अपनी मांग रखते हुए कहा कि पहले नेहरू इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन की स्थाई सदस्यता से इस्तीफा वापस ले। दूसरा विश्वविद्यालय यूनियन के स्वाधिकार में अधिकारियों के हस्तक्षेप से उत्पन्न कठिनाइयों को दूर कराएं। नेहरू ने पहली मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह अब इलाहाबाद से बाहर रहते हैं। साथ ही उनके पास वक्त भी नहीं रहता है। दूसरी मांग पर उन्होंने हल करने का आश्वासन दिया था।