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कोरोना टेस्ट कराने के लिए कई दिन लगाना पड़ता है चक्कर, प्रतापगढ़ में रिपोर्ट का भी कई रोज इंतजार

जिला अस्पताल में जांच की व्यवस्था मनमानी की शिकार है। सुबह की बजाय दोपहर में जांच शुरू की जा रही है। सुबह से आए लोग इंतजार में परेशान हो रहे हैं। कई घंटे बीमार लोगों के बीच रहने से सामान्य लोग भी संक्रमण के करीब पहुंच जा रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 06:00 AM (IST)
कोरोना टेस्ट कराने के लिए कई दिन लगाना पड़ता है चक्कर, प्रतापगढ़ में रिपोर्ट का भी कई रोज इंतजार
जिला अस्पताल में जांच की व्यवस्था मनमानी की शिकार है। सुबह से आए लोग इंतजार में परेशान हो रहे हैं

प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ में भी कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। मौतों का सिलसिला भी तेज हो गया है। कोरोना संक्रमण के दूसरे झटके से बचने के लिए लोग अपनी जांच करा लेना ही समझदारी मान रहे हैं, लेकिन जांच हो पाना इतना आसान नहीं रह गया है। इस वजह से शासन की मंशा भी नहीं पूरी हो पा रही है।

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कई घंटे तक इंतजार के बाद मायूस होकर लौट रहे लोग

जिला अस्पताल में जांच की व्यवस्था मनमानी की शिकार है। सुबह आठ बजे के बजाय दोपहर में जांच शुरू की जा रही है। सुबह से आए लोग इंतजार में परेशान हो रहे हैं। कई घंटे बीमार लोगों के बीच रहने से सामान्य लोग भी संक्रमण के करीब पहुंच जा रहे हैं। उनको कोई पूछने वाला वहां पर नहीं होता। महिला, पुरुष, बच्चे सब इधर-उधर भटकते रहते हैं। बैठने की भी जगह नहीं है। कोई सीढ़ी पर बैठता है तो कोई रेलिंग पर। वहां भी संक्रमण का पूरा अंदेशा होता है। एंटीजन जांच कराने में भी लोग हांफ जाते हैं। कई लोगों की इंतजार के बाद भी जांच नहीं हो पाती। वह दूसरे दिन भी आने को विवश होते हैं। वहां तैनात कर्मी सीधे मुंह बात करने को भी तैयार नहीं होते।

बातों में छलका गुस्सा और दर्द

दैनिक जागरण ने बुधवार को परेशान हाल मिले कुछ लोगों से उनका दर्द साझा किया। उनकी बातों से सिस्टम की मनमानी व संवेदनहीनता सामने आई। खरवई गांव के शिवम सिंह ने बताया कि बुखार महसूस होने पर चिकित्सक को दिखाया तो कोरोना की जांच कराने को कहा। यहां सुबह नौ बजे आने पर कोई कर्मी नहीं मिला। दस बजे के बाद एक कर्मी आया तो कहा कि 12 बजे के बाद जांच होगी। कहीं भी बैठने की व्यवस्था न होने से परेशान हैं। 

बराछा गांव के हर्ष कुमार का कहना है कि गुजरात में रहता था। वहां के हालात बदलने लगे तो कोरोना का डर सताने लगा। घर चला आया। घर वालों ने कहा कि जांच करा लो। जिला अस्पताल यह सोचकर आए कि जल्दी होगी, पर यहां तो बड़ी अव्यवस्था है। सुबह से दोहर हो गई, पता नहीं कब नंबर आएगा। बलीपुर के श्यामलाल ने कहा कि मेरी उम्र 70 बरस है। आंखों का आपरेशन कराना है। डॉक्टर ने कहा कि कोरोना की जांच कराकर आओ। मैं मंगलवार को भी आया था, पर मेरा नंबर आते-आते जांच बंद हो गई। मैं घर चला गया। दूसरे दिन आने पर दोपहर बाद भी जांच नहीं हुई। यहां बड़ी समस्या है।

दोपहर तक लाते हैं किट

कोरोना की जांच किट कर्मियों को मुख्य स्टोर से दी जाती है। वहां से मिलने में देर हो जाती है। पंजीकरण रजिस्टर भी जमा हो जाता है। ऐसे में लोगों को संसाधन आने तक परेशान होना पड़ता है।

बिना सुरक्षा उपायों के कर्मी

कोरोना की जांच करने वाले कर्मी खुद ही पीपीई किट नहीं पहन रहे हैं। जिला अस्पताल के जांच केंद्र पर यह लापरवाही रोज की बात है। वह केवल ग्लब्स व मास्क पहनकर अपने को सुरक्षित मान लेते हैं। 

इमरजेंसी में हर पल खतरा

जिला अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में हर पल कोरोना का खतरा रहता है। कारण यह है कि यहां आने वाला व्यक्ति सीधे अंदर आता है। मरीज व साथ आए लोग सीधे चिकित्सक के पास पहुंच जाते हैं। इससे वहां पर भर्ती मरीजों की जिंदगी भी खतरे में पड़ जाती है। यही कारण है कि कई बार वहां भर्ती मरीज बाद में कोरोना संक्रमित निकलता है।

कोविड डेस्क तो महज दिखावा है

जिला अस्पताल में इमरजेंसी के सामने ही कोविड हेल्प डेस्क बनी है, पर दिखाने को। वहां कोई रुकता ही नहीं, न तो कर्मी रोकते ही हैं। वहां बैठे कर्मी मोबाइल पर बात करने में मशगूल रहते हैं।


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