प्रतापगढ़ में पहले ग्रामीण जुटाते हैं चंदा, तब बदला जाता है खराब ट्रांसफार्मर
कई बार तो विभाग के पास जला ट्रांसफार्मर उतारकर लाने व बना हुआ ले जाने को ट्रैक्टर नहीं होता। मजदूर नहीं मिलते तो गांव के लोग अपनी समस्या से विवश होकर चंदा लगाकर यह काम करते हैं।
प्रतापगढ़,जेएनएन। शासन ने भले ही जले ट्रांसफार्मर को बदलने का मानक 48 घंटे है, पर यह मानक प्रतापगढ़ जिले में कागजों तक ही सीमित है। खराब ट्रांसफार्मर को बदलने में कम से कम 15 दिन या फिर महीने-दो महीने लग जाते हैं। वह भी तब जब ग्रामीण चंदा जुटाकर खराब ट्रांसफार्मर पहुंचाने के बाद स्टोर से नया ट्रांसफार्मर लाते हैं। विभाग के पास श्रमिक नहीं होते हैं तो विवश होकर ग्रामीणों को ही यह काम करना पडता है।
जिले में खराब हैं 158 ट्रांसफार्मर
पूरे जनपद में साढ़े तीन हजार ट्रांसफार्मर अलग-अलग क्षमता के लगे हैं। इन पर कई जगह अधिक लोड देने से वह जल जाते हैं। कहीं बरसात उसे खराब कर देती है। मौजूदा समय में 158 ट्रांसफार्मर खराब हैं। शासन का आदेश है कि ट्रांसफार्मर तो जलेगा ही। ऐसे में पहले से वैकल्पिक इंतजाम रखा जाए, ताकि दिक्कत न हो। यानि ठीक हालत के ट्रांसफार्मर स्टोर में रखे रहें, लेकिन ऐसा है नहीं। स्टोर में जले व खराब ट्रांसफार्मरों की तो भरमार दिखती है, पर बनने का औसत कम है। कई बार तो विभाग के पास जला ट्रांसफार्मर उतारकर लाने व बना हुआ ले जाने को ट्रैक्टर नहीं होता। मजदूर नहीं मिलते तो गांव के लोग अपनी समस्या से विवश होकर चंदा लगाकर यह काम करते हैं।
धरना प्रदर्शन से लेकर करना पडता है घेराव
कई बार धरना व प्रदर्शन के साथ घेराव तक करने पर समस्या का निदान हो पाता है। जला हुआ ट्रांसफार्मर बनाने में चार से पांच दिन लग रहे हैं। यह भी तब हो पाता है जब उसे प्लेटफार्म से उतारकर वर्कशाप में पहुंचा दिया गया हो। ऐसे में एक खेप बन नहीं पाती कि दूसरी आ जाती है। इससे लोड बढ़ता जाता है। उदाहरण के तौर पर जिले में ट्रांसफार्मर कितने दिन में बदले जा रहे हैं इसकी हकीकत साफ दिख रही है कुंडा तहसील क्षेत्र के गोगहर गांव में। बहोरिकपुर उपकेंद्र से जुड़े इस गांव में पिछले कई दिनों से 63 केवीए का ट्रांसफार्मर जला हुआ है। लेकिन अब तक ट्रांसफार्मर बदला नहीं जा सका है। एक्सईएन स्टोर एके सिंह का कहना है कि बरसात में समस्या बढ़ जाती है। बदलने के काम में तेजी लाई जाएगी।