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UP Sikshak Bharti : गिरोह के सरगना डॉ. केएल पटेल की संपत्ति की होगी जांच Prayagraj News

UP Sikshak Bharti अफसरों का मानना है कि एक डॉक्टर होने के नाते गिरोह का सगरना डॉक्‍टर केएल वेतन से इतनी संपत्ति नहीं जुटा सकता है। लिहाजा सारे पहलुओं पर तफ्तीश चल रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 08:58 AM (IST)
UP Sikshak Bharti : गिरोह के सरगना डॉ. केएल पटेल की संपत्ति की होगी जांच Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के सरगना डॉ. केएल पटेल की संपत्ति भी स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ)  के निशाने पर आ गई है। एसटीएफ के अधिकारी फर्जीवाड़ा मामले की विवेचना के साथ ही यह भी पता लगा रहे हैं कि सरगना के पास कहां-कहां और कितनी चल व अचल संपत्ति है। साथ ही आर्थिक स्रोत व बैंक खातों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है, ताकि उस पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके।

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दस साल पहले थी महज दो बीघा जमीन

बहरिया थाना क्षेत्र के कपसा गांव निवासी डॉ. केएल पटेल ने वर्ष 2006 के आसपास सैफई मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और फिर उसे सरकारी नौकरी मिली। इसके बाद उसने पहले फूलपुर में आइटीआइ कॉलेज बनवाया। फिर फार्मेसी व कई अन्य कॉलेज बनवाए। गंगापार से लेकर शहर तक में उसके नाम कई जमीन और मकान है। 10 साल पहले उसके पास महज दो बीघा जमीन थी। पुलिस को जांच में भी इस तरह की जानकारी मिली थी।

कॉलेज परिसर से मिले थे 14 लाख रुपये

इतना ही नहीं, हिरासत में लिए जाने पर केएल पटेल की निशानदेही पर कॉलेज परिसर में जमीन खोदकर 14 लाख रुपये बरामद किए गए थे। यह पैसा सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों से लिए जाने की बात कही गई थी। अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ के दौरान सरगना ने बताया था कि नानी की मौत के बाद उसे ननिहाल से करीब 30 से 40 लाख रुपये मिले थे। इस आधार पर अब उसके और उसके घरवालों के नाम जो भी संपत्ति है, उसका ब्यौरा जुटाया जा रहा है। अफसरों का मानना है कि एक डॉक्टर होने के नाते वह वेतन से इतनी संपत्ति नहीं जुटा सकता है। लिहाजा सारे पहलुओं पर तफ्तीश चल रही है।

सफेदपोश बनने की तैयारी में लग गया था

कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश के चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में पकड़े जाने के बाद केएल पटेल ने कानून के फंदे से बचने के लिए कई नेताओं से नजदीकी बढ़ाई। विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये कमा लिया। सियासी महत्वाकांक्षा जगी तो वह कुर्मी समाज के युवाओं को नौकरी दिलवाने लगा और जिनके पास पैसा नहीं होता उन्हें भी सरकारी सेवा में किसी तरह भर्ती करवा देता। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को अपने स्कूल में दाखिला दिलवाने लगा। ऐसा करते-करते हुए वह कुर्मी समाज का अगुवा जैसा बन गया। वह सफेदपोश बनने की तैयारी में लग गया।

खुद को नेता बनाने के प्रयास में लगा रहा

धनबल और कुर्मी समाज का समर्थन मिला तो जिला पंचायत सदस्य बन गया। हालांकि उसकी महत्वाकांक्षा और बड़ी थी, जिसके लिए वह एक पार्टी के नेताओं के साथ जुड़ गया। कभी अपने कॉलेज में किसी विधायक को बुलाता तो किसी कार्यक्रम में मंत्री को। कुछ प्रभावशाली लोगों को अपने साथ लाकर वह अपनी कारस्तानियों पर पर्दा डालने की कोशिश करता था। सोशल मीडिया से लेकर कई गांव में होर्डिंग, पोस्टर के जरिए भी खुद को नेता बनाने के प्रयास में लगा रहा। आमतौर पर जो उसे समाजसेवी, डॉक्टर और स्कूल प्रबंधक के रूप में जानते थे, उन्हें जब सच्चाई का पता चला तो हतप्रभ रह गए। मंत्री, विधायक से लेकर दूसरे नेताओं की आड़ लेकर अपने गुनाहों को छिपाने की कोशिशों के बावजूद फंस गया। 

अपना दल (एस) के चिकित्सा प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष था

विधायक बनने की कोशिश में रहा डॉ. केएल पटेल विधानसभा चुनाव से पहले अपना दल (एस) के चिकित्सा प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष था। वह प्रतापपुर विधानसभा सीट से चुनाव लडऩा चाहता था। मगर जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दल ही चुनाव मैदान में उतरा था।


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