मां सोना को खोज रही डेढ़ साल की मासूम नैना Prayagraj News
एसआरएन अस्पताल में शव वाहन न मिलने के कारण कल्लू ने पत्नी सोना देवी का शव रिक्शा ट्राली पर रखकर 60 किमी. दूर अपने ससुराल पहुंचाया था। सोना के तीन बच्चे हैं।
प्रयागराज,जेएनएन : डेढ़ साल की बेटी नैना भले ही बोलने में अक्षम हो लेकिन उसकी निगाहें हर क्षण मां को खोजती रहती हैं। वह नानी की गोद में बैठकर रोती रहती है। नानी उसे दूध व खाना खिलाने का प्रयास कर रही हैं लेकिन वह दो दिनों से कुछ नहीं खाई। रविवार को नैना के दोनों भाई भी अपने पिता कल्लू के पास चले गए।
एसआरएन अस्पताल में शव वाहन न मिलने के कारण कल्लू ने पत्नी सोना देवी का शव रिक्शा ट्राली पर रखकर 60 किमी. दूर अपने ससुराल पहुंचाया था। सोना के तीन बच्चे हैं। बड़ा बेटा राहुल आठ साल का है और छोटा बेटा जंगी छह साल का। डेढ़ साल की बिटिया नैना है। पत्नी के अंतिम संस्कार के बाद कल्लू अपने घर रीवा के बैरिया गांव चला गया। रविवार को कल्लू के बड़े भाई हरीलाल शंकरगढ़ के ढरकरान मोहल्ले पहुंचे थे। उन्होंने मृतका सोना देवी की अस्थि लेकर नदी में प्रवाहित किया। सोना के दोनों बेटे को अपने साथ अपने घर ले गए। अब नैना सिर्फ अपनी मां से दूर नहीं हुई बल्कि वह पिता व दोनों भाईयों से भी दूर हो गई है। नानी की गोद से एक क्षण के लिए नहीं उतर रही है। स्थिति यह है कि अभी तक शासन प्रशासन से कोई आर्थिक सहायता भी नहीं मिली है।
मामले को दबा रहा अस्पताल प्रशासन :
एसआरएन अस्पताल में 19 सितंबर को कल्लू की पत्नी सोना देवी का निधन हुआ। शव घर तक ले जाने के लिए शव वाहन नहीं उपलब्ध कराया गया। यही कारण रहा कि कल्लू ने शव को रिक्शा ट्राली से 60 किमी की दूरी तय करते हुए अपने ससुराल पहुंचाया था। कल्लू बार बार एक ही बात कह रहा है कि उसकी पत्नी स्वरूपरानी अस्पताल में भर्ती थी और मांगने के बाद भी उसे एंबुलेंस या शव वाहन नहीं दिया गया। उसकी इस बात को अस्पताल के जिम्मेदार व जांच कमेटी के सदस्य मानने को तैयार नहीं हैं। जिम्मेदारों का कहना है कि सोना देवी हमारे अस्पताल में नहीं भर्ती थी। मामले में लीपापोती की जा रही है।