बच्चों की सेहत के लिए खतरनाक है बढ़ रही सर्दी, इन बातों का रखें ख्याल Prayagraj News
जिन बच्चों में मुंह से सांस लेने का बोध नहीं होता यदि जुकाम होने पर उनकी नाक से सांस आने-जाने में दिक्कत महसूस हो रही है नाक से सांस लेते समय कुछ आवाज आ रही है तो इसका घर पर ही त्वरित उपचार करें।
प्रयागराज, जेएनएन। जनवरी का पहला सप्ताह बीतने को है और अब यही कोई 15-20 दिन कड़क सर्दी की चपेट में रहने के पूर्वानुमान हैं। सर्दी के इस मौसम में अधिकांश घरों में बच्चे खांसी, जुकाम, बुखार, सीने में कफ, उल्टी-दस्त से ग्रसित रहते हैं। उपचार कराने में लेटलतीफी की तो बच्चों को निमोनिया भी हो जाता है। सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए ले जाए जा रहे बच्चे इन्हीं बीमारियों में गंभीर पाए जा रहे हैं। कारण सिर्फ एक है बच्चों की सेहत के प्रति अभिभावकों की लापरवाही। इस मौसम में अनदेखी से बच्चों पर क्या विपरीत प्रभाव पड़ सकता है और बीमारियों पर फौरन काबू पाने के लिए क्या करें, बता रही है यह विशेष रिपोर्ट।
बच्चों में हो रही है ये बीमारियां
सर्दी, जुकाम, बुखार, सीने में कफ जम जाना, निमोनिया, सांस की गति तेज होना, गुर्दे की बीमारी, दिल की बीमारी, झटके आना।
नाक बंद तो डालें गुनगुना पानी
जिन बच्चों में मुंह से सांस लेने का बोध नहीं होता, यदि जुकाम होने पर उनकी नाक से सांस आने-जाने में दिक्कत महसूस हो रही है, नाक से सांस लेते समय कुछ आवाज आ रही है तो इसका घर पर ही त्वरित उपचार करें। पानी में नमक डालकर गुनगुना कर लें। उसकी बूंदें (ड्राप) बच्चे की नाक में डालें तो सांस का रास्ता खुल जाएगा।
हो जाए डायरिया तो दें ओआरएस का घोल
बच्चों को इस मौसम में यदि डायरिया हो जाए उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मानित ओआरएस का घोल पिलाते रहें। जिंक सिरप भी दें।
वायरल है तो तीन दिन रहेगी मियाद
बच्चे को सर्दी के मौसम में यदि वायरल बुखार, जुकाम हो गया है तो कम से कम तीन दिन उसे यह बीमारी जकड़े रहेगी। इसके बाद धीरे-धीरे उसका असर कम हो जाएगा। यदि फिर भी बच्चा बीमार है, सुस्ती आ रही है तो उसे किसी योग्य डॉक्टर के पास ले जाने में लेटलतीफी न करें।
कोरोना काल में सावधानी है जरूरी
इन दिनों कोरोना संक्रमण काल चल रहा है। घर में यदि किसी को भी सर्दी, जुकाम, बुखार, कफ जमा होने की शिकायत है और बच्चे को भी उसी दौरान यह बीमारी लग जाए तो लापरवाही बिल्कुल न करें। अपनी कोरोना जांच अवश्य कराएं क्योंकि सर्दी जुकाम बुखार के दौरान सांस लेने में भी दिक्कत होना कोरोना के ही लक्षण हैं।
बच्चों की बीमारी के प्रति न बरते लापरवाही
बाल रोग विशेषज्ञ डा. एमवी सिंह ने बताया कि बच्चे अक्सर अपनी बीमारी बता नहीं पाते। उनका ध्यान अभिभावकों को ही रखना होगा। शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों का इस मौसम में खास ख्याल रखें। चिल्ड्रेन अस्पताल में अच्छे डॉक्टर हैं, बच्चों को वायरल इन्फेक्शन होने पर अस्पताल में दिखाएं। बच्चों की बीमारी के प्रति लापरवाही नुकसानदायक भी हो सकती है।
नंबर गेम
-05 प्रतिशत बच्चों को हो जाता है अस्थमा
-10 प्रतिशत बच्चों को हो जाता है डायरिया
-100 बच्चे औसत प्रत्येक दिन लाए जा रहे चिल्ड्रेन अस्पताल में
-700 बच्चे औसत प्रत्येक दिन लाए जा रहे निजी क्लीनिक में
-70 प्रतिशत बच्चे हो रहे हैं वायरल बीमारियों के शिकार
-02 प्रतिशत बच्चों में पायी जा रही दिल की बीमारी
-05 साल तक बच्चों पर इस मौसम में रखें विशेष ध्यान