सस्ता होगा ऋण, डिजिटल भुगतान को मिलेगा बढ़ावा
रेपो रेट घटने से नेफ्ट व आरटीजीएस से शुल्क हटने पर अर्थशास्त्री बोले कि इससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा। ऋण भी सस्ता होगा। व्यापारियों में भी खुशी है।
प्रयागराज, जेएनएन। रेपो रेट के घटने से जहां बैंकों की साख में वृद्धि के आसार हैं, वहीं ऋण भी सस्ता होगा। इससे निवेश के साथ मांग, उत्पादन और रोजगार में वृद्धि की संभावना बढ़ेगी। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। नेफ्ट और आरटीजीएस से शुल्क हटने से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा। इससे भुगतान सुरक्षित और सुविधाजनक होगा।
अर्थव्यवस्था के निवेश में तेजी से विस्तार होगा : प्रो. त्रिपाठी
इविवि में अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. जीसी त्रिपाठी का कहना है कि रेपो रेट के घटने से बैंकों की साख क्षमता में वृद्धि स्वाभाविक है। इससे ऋण सस्ता होगा लिहाजा अर्थव्यवस्था के निवेश में तेजी से विस्तार होगा। उत्पादन, रोजगार और अर्थव्यवस्था की समृद्धि दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साख वृद्धि के फलस्वरूप कीमतों में वृद्धि भी स्वाभाविक है। मुद्रास्फीति की दर पर्याप्त नियंत्रण में है, इसलिए इससे अर्थव्यवस्था पर तत्काल नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। नेफ्ट और आरटीजीएस से शुल्क हटाने का जहां तक सवाल है, उससे देश और समाज कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ेगा। डिजिटल इंडिया अभियान को गति मिलने के साथ ही अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी। जो किसी भी सुदृढ़ व स्थायी अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।
रेपो दर घटने से अन्य ब्याज दरें संबद्ध रहती है : प्रो. घोष
अर्थशास्त्र विभाग इविवि में अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. पीके घोष ने कहा कि रेपो दर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की प्रमुख ब्याज दर है। इससे अन्य ब्याज दरें संबद्ध रहती हैं। रेपो रेट घटने से अन्य ब्याज दरें कम हो जाएंगी, जिससे बैंकों से ऋण लेना सस्ता हो जाएगा। इससे निवेश में तेजी आएगी। साथ ही मांग, उत्पादन और रोजगार में भी वृद्धि होगी। रोजगार दर पिछले 45 वर्षों में सबसे कम है, इसलिए आर्थिक समृद्धि के साथ रोजगार में वृद्धि करना सरकार की बड़ी जिम्मेदारी है। डिजिटल भुगतानों पर सरकार बल दे रही है। इसलिए नेफ्ट और आरटीजीएस से चार्ज हटाने से लोगों का रुझान डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ेगा। यही नहीं सही लेन-देन के लिए भी लोग उत्साहित होंगे। डिजिटल भुगतान नकद की अपेक्षा सुरक्षित और सुविधाजनक है। इसमें तात्कालिकता भी है। इससे सभी भुगतान रिकार्ड में रहेंगे।
शुल्क हटने से व्यापारी खुश
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने, जनता और व्यापारियों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने पांच वर्षों से मुहिम चला रखी थी। हालांकि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलने में सबसे बड़ी समस्या सरकार द्वारा इस पर लगाया जाने वाला शुल्क था।
कैट के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा
कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का दावा है कि संगठन की मांग पर पूर्व में सरकार ने डेबिट कार्ड से 2000 रुपये तक के भुगतान को शुल्क मुक्त कर दिया था। गुरुवार को रिजर्व बैंक ने नेफ्ट और आरटीजीएस पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करने का निर्णय लिया। गोयल का दावा है कि व्यापार में आने वाली मुश्किलों के प्रति कैट समय-समय पर सरकार को बताता रहता है। नतीजतन, सरकार व्यापारियों को राहत देती है।
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