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प्रयागराज में गंगा जल से बनी अगरबत्ती महकाएगी राम का धाम

समूह की महिलाओं ने खादी ग्रामोद्योग विभाग से भी संपर्क किया। इसी दौरान चित्रकूट की एक फर्म ने गंगा जल से बनी अगरबत्ती खरीदने के लिए हामी भर दी। अब पैकिंग के लिए रैपर व स्टिकर आदि मंगा लिया गया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 07:00 AM (IST)
प्रयागराज में गंगा जल से बनी अगरबत्ती महकाएगी राम का धाम
संगम नगरी की अगरबत्ती चित्रकूट में भी अपनी सुगंध बिखेरेगी।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना काल में तमाम परिवारों में कमाने वालों का काम धंधा ठप हो गया। ऐसे में नारी शक्ति ने अपनी जिजीविषा दिखाई। शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाकर अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया। खास यह कि इसे गंगा जल से तैयार कर स्थानीय स्तर पर बिक्री की गई। इसी बीच चित्रकूट की एक फर्म ने स्वयं सहायता समूह के इस उत्पाद को खरीदने का निर्णय लिया है। इससे संगम नगरी की अगरबत्ती चित्रकूट में भी अपनी सुगंध बिखेरेगी। वर्ष 2021 में अन्य शहरों में भी व्यवसाय फैलाने का लक्ष्य रखा गया है।

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धुस्सा गांव निवासी अंजलि कुशवाहा ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन हो गया। परिवार के लोगों के भी काम धंधे बंद हो गए। ऐसे में खादी ग्रामोद्योग की मदद ली। ललिता शास्त्री स्नेही सेवा संस्थान के नाम से महिलाओं का समूह बनाया और अगरबत्ती बनाने की योजना तैयार की। विभाग की तरफ से 15 दिन का प्रशिक्षण सभी महिलाओं को दिया गया। उसके बाद समूह की तरफ से कच्चा माल उपलब्ध कराया गया। इसमें गंगा जल, इत्र, कोयला, स्टिक, जिगट, बर्निंग पाउडर, लकड़ी का बुरादा आदि शामिल था। सभी महिलाओं ने अपने घर पर रहकर अगरबत्ती तैयार की। उसे स्थानीय स्तर पर दुकानों को सप्लाई किया। बाजार से सही कीमत मिले और बेचने के लिए कहीं भटकना न पड़े इसके लिए समूह की महिलाओं ने खादी ग्रामोद्योग विभाग से भी संपर्क किया। इसी दौरान चित्रकूट की एक फर्म ने गंगा जल से बनी अगरबत्ती खरीदने के लिए हामी भर दी। अब पैकिंग के लिए रैपर व स्टिकर आदि मंगा लिया गया है। जल्द ही उसे ब्रांड के रूप में विकसित कर सप्लाई भी शुरू कर दी जाएगी।

समूह की एक सदस्य की आय 500 रुपये

अंजली बताती हैं कि उनके साथ सीटू यादव, सपना यादव, विद्योतमा, शकुंतला पटेल, लीलावती, मोनी, पूजा सहित 15 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया है। सभी अगरबत्ती बनाने के काम से जुड़ चुकी हैं। एक दिन में करीब आठ किलो अगरबत्ती एक महिला बना सकती है। इससे लगभग 500 से 600 रुपये की आय हो रही है।

पांच से 50 रुपये तक है अगरबत्ती की कीमत

समूह की तरफ से गंगा जल से बनाई गई अगरबत्ती के एक पैकेट की कीमत सामन्य रूप से पांच रुपये हैं। बड़े पैकेट लेने पर कीमत बढ़ जाती है। पचास रुपये तक के पैकेट बनाए गए हैं। अंजलि ने बताया कि एक किलो अगरबत्ती बनाने में करीब तीस रुपये लागत आती है।

कैबिनेट मंत्री ने मशीन उपलब्ध कराने का किया है वादा

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से मिलकर अगरबत्ती बनाने में मदद करने वाली मशीन उपलब्ध कराने की मांग की थी। कैबिनेट मंत्री ने उन्हें खादी ग्रामोद्योग की तरफ मशीन दिलाने का भी वायदा किया है। यह भी कहा है कि समूह के उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने के लिए भी जल्द कुछ ठोस प्रयास किये जाएंगे।


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