कोहरे में ट्रेन चालकों को फॉग सेफ डिवाइस देती है आवाज, आने वाला है सिग्नल Prayagraj News
कोहरे के चलते कई बार टे्रन चालक को सिग्नल दिखाई नहीं देता अथवा कम दिखाई देता है इसके लिए रेलवे ने समाधान तलाश लिया है। टे्रन चालकों को ड्यूटी पर जाने के पहले फॉग सेफ डिवाइस दी जाती है जो कोहरे में टे्रन संचालन में उनकी सहायता करता है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोहरे में ट्रेनों का संचालन रेलवे के लिए हर साल परेशानी का सबब रहता है। लेकिन सर्दी, गर्मी अथवा बारिश के दिनों में भी तमाम मुश्किलों के बीच देश की लाइफ लाइन मानी जाने वाली रेल के पहिए कभी थमते नहीं हैं। यात्रियों के साथ रेल की सुरक्षा के लिए परंपरागत साधनों के साथ रेलवे लगातार नवीन तकनीक की खोज में रहता है जिसके बलबूते अनवरत ट्रेन संचालन के संग यात्रियों की जान भी महफूज रहती है।
कोहरे की सफेदी से निपटने को एक-दो माह पहले से तैयारी
हर साल अक्टूबर-नवंबर माह से पडऩे वाली ठंड को देखते हुए रेलवे पहले से ही इसके दुष्प्रभावों से पार पाने के इंतजाम में जुट जाता है। टै्रक की देखभाल करने वाले ट्रैकमैन से लेकर ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट, गार्ड, स्टेशन मास्टर और सिग्नलिंग से जुड़े कर्मचारियों की फिटनेस आदि की जांच की जाती है। उनके स्वास्थ्य का परीक्षण के अलावा उन्हें टे्रनिंग भी दी जाती है कि ड्यूटी के दौरान किन-किन संरक्षा मानकों का पालन करना है।
पटरियों की देखभाल को ट्रैकमैन करते हैं अनवरत पेट्रोलिंग
ठंड का असर रेल टै्रक पर भी पड़ता है। ठंड के कारण पटरियां सिकुड़ती हैं और दिन में धूप होने से फैलती भी हैं। ऐसे में इनके चटकने या क्रैक होने का खतरा रहता है। कई बार ससमय खामी पकड़ में नहीं आने के चलते दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। ऐसे में ठंड के दिनों में ट्रैकाें की पेट्रोलिंग और बढ़ा दी जाती है। उत्तर मध्य रेलवे क्षेत्र में 15 नवंबर से इस काम को और बेहतर ढंग से किया जा रहा है। समय-समय पर अधिकारी भी चेक करते हैं कि टै्रकमैन अपनी ड्यूटी ठीक से निभा रहे हैं कि नहीं।
जीपीएस बेस्ड फॉग सेफ डिवाइस चालक को करती है अलर्ट
उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि ठंड और कोहरे को देखते हुए हम इन दिनों संरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करते हैं। कोहरे के चलते कई बार टे्रन चालक को सिग्नल दिखाई नहीं देता अथवा कम दिखाई देता है, इसके लिए रेलवे ने समाधान तलाश लिया है। टे्रन चालकों को ड्यूटी पर जाने के पहले फॉग सेफ डिवाइस दी जाती है जो कोहरे में टे्रन संचालन में उनकी सहायता करता है। जीपीएस पर आधारित इस डिवाइस में उक्त रेलमार्ग के सिग्नलों की स्थिति पहले से फीड कर दी जाती है जिस पर वह जा रही होती है। सिग्नल के आने के पांच सौ मीटर पहले ही यह ड्राइवर को आगाह करता है कि रेड या हरा सिग्नल आने वाला है। इसमें से आडियो निकलती है जिसको ड्राइवर सुविधा अनुसार अंग्रेजी या हिंदी भाषा में सेट कर सकता है।
कोहरे वाले रेल सेक्शन में कम कर देते हैं टे्रनों की गति
रेल संचालन में चालक की मदद के लिए ट्रैक के किनारे तमाम सूचना बोर्ड लगे होते हैं। कोहरे में यह स्पष्ट नजर आएं जिसके लिए इन पर रेट्रोरिफ्लेक्टिवपट्टियां लगाई जाती हैं। इसके अलावा जिस रेलखंड में कोहरा पड़ रहा होता है वहां पर टे्रनों की गति कम कर दी जाती है जो 75 किमी. प्रति घंटे अथवा टे्रन ड्राइवर की दृश्यता के आधार पर 10 किमी. प्रति घंटे भी हो सकती है। टै्रक, सिग्नल के साथ स्टेशनों अथवा क्रासिंग पर तैनात कर्मियों की सतर्कता की जांच के लिए अधिकारी फूटप्लेट चेकिंग भी करते हैं। सर्दियों में इसपर अमल और भी बढ़ा दिया जाता है।