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शुरू मेंं बनारस से दारागंज तक ही आती थी ट्रेन, साल भर बाद पहुंची रामबाग, जानिए क्या थी वजह

बनारस कैंट रेलवे जंक्शन से झूंसी तक रेलवे लाइन 21 अप्रैल 1909 तक पूरी हो गई थी। लेकिन झूंसी से गंगा नदी पर निर्मित आइजेट पुल तक (जो दूसरे छोर पर दारागंज में मिलता था) करीब पांच किलोमीटर लंबाई में टै्रक बिछने में तीन साल का वक्त लग गया था।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 08:49 PM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 03:30 PM (IST)
शुरू मेंं बनारस से दारागंज तक ही आती थी ट्रेन, साल भर बाद पहुंची रामबाग, जानिए क्या थी वजह
दारागंज स्टेशन तक ट्रेन आने लगी थी लेकिन उसको रामबाग स्टेशन तक पहुंचने में एक साल लग गए थे।

प्रयागराज, जेएनएन। शहर का सिटी रेलवे स्टेशन (रामबाग) प्रयागराज से वाराणसी रेलमार्ग का महत्वपूर्ण स्टेशन है। प्रयागराज में पूर्वोत्तर रेलवे का यह अंतिम स्टेशन है। इसकी शुरूआत वर्ष 1913 में हुई थी। हालांकि इसके साल भर पहले दारागंज स्टेशन तक ट्रेन आने लगी थी लेकिन उसको रामबाग स्टेशन तक पहुंचने में एक साल लग गए थे।

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प्रयागराज में गंगा नदी पर पुल बनाना थी बड़ी समस्या
ब्रिटिश शासनकाल में भी इलाहाबाद (अब प्रयागराज) और वाराणसी की स्थिति महत्वपूर्ण थी। ऐसे में अंग्रेजों ने दोनों शहरों को रेलवे नेटवर्क से जोडऩे का निर्णय लिया था लेकन सबसे बड़ी बाधा इलाहाबाद में गंगा नदी पर पुल का निर्माण था। इसके लिए तत्कालीन बंगाल एंड नार्थ वेस्टर्न रेलवे ने 1882 में एक कंपनी का गठन किया जिसने पुल का निर्माण संपन्न कराया था।

बनारस कैंट जंक्शन से माधोसिंह तक टै्रक बिछाने की हुई शुरूआत
पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार के मुताबिक प्रयागराज के दारागंज-झूंसी के बीच गंगा नदी पर रेलवे पुल निर्माण के बाद बंगाल एंड नार्थ वेस्टर्न रेलवे, 1943 में अवध एंड तिरहुत रेलवे में मर्ज हो गई थी जिसके बाद बनारस कैंट से माधोसिंह के बीच तकरीबन 47 किलोमीटर लंबे इस रेलवे खंड का निर्माण शुरू किया गया। इस रेलखंड का निर्माण 01 मार्च 1909 में पूरा हुआ था। इसी वर्ष माधोसिंह से प्रयागराज के झूंसी के बीच लगभग 66 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में रेल टै्रक बिछाने का काम भी पूरा कर लिया गया था।

झूंसी से दारागंज तक लाइन बिछने में लग गए थे तीन साल
बनारस कैंट रेलवे जंक्शन से झूंसी तक रेलवे लाइन 21 अप्रैल 1909 तक पूरी हो गई थी। लेकिन झूंसी से गंगा नदी पर निर्मित आइजेट पुल तक (जो दूसरे छोर पर दारागंज में मिलता था) करीब पांच किलोमीटर लंबाई में टै्रक बिछने में तीन साल का वक्त लग गया था। यह काम नवंबर 1912 में पूरा हो सका था। इसके बाद वाराणसी से टे्रन दारागंज स्टेशन तक चलने लगी थी।

दारागंज से रामबाग तक डेढ़ किमी दूरी पूरी करने में लगे थे एक साल
वाराणसी से प्रयागराज के दारागंज के बीच मीटर गेज लाइन पूरी होने के बाद टे्रनों का संचालन शुरू कर दिया गया था। लेकिन टे्रन को शहर के रामबाग तक पहुंचने में एक साल लग गए थे। दारागंज से रामबाग (सिटी स्टेशन) के बीच लगभग डेढ़ किलोमीटर रेल पटरी बिछाने का कार्य 1912 में शुरू हुआ व मई 1913 में पूरा किया जा सका था। अशोक बताते हैं कि रामबाग तक टै्रक ले जाने का पहले प्लान नहीं था। बाद में निर्णय होने पर भूमि के अधिग्रहण से लेकर शहर की सड़कों पर डॉट पुल का निर्माण सहित कई बाधाएं थी जिन्हें दूर करने में काफी समय लगा था लेकिन आज प्रयागराज को पूर्वी उत्तर प्रदेश से जोडऩे का यह प्रमुख रेलमार्ग है।


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