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कोरोना काल में रेकी रेकी ग्रैंड मास्‍टर ने बताया इम्‍यूनिटी बढ़ाने का तरीका, प्राकृतिक चिकित्‍सा पर दिया जोर

एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान की ओर से रेकी सेंटर पर परिचर्चा हुई। वर्तमान परिस्थितियों पर परिचर्चा में रेकी ग्रैंड मास्‍टर सतीश राय ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा हजारों वर्ष पुरानी चिकित्सा पद्धति है। प्राकृतिक चिकित्सा के बाद ही एलोपैथ चिकित्सा आई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 12:00 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 12:00 PM (IST)
कोरोना काल में रेकी रेकी ग्रैंड मास्‍टर ने बताया इम्‍यूनिटी बढ़ाने का तरीका, प्राकृतिक चिकित्‍सा पर दिया जोर
रेकी ग्रैंड मास्‍टर सतीश राय ने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का टिप्‍स दिया।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण काल ने व्‍यक्ति के लिए ऑक्सीजन की उपयोगिता के महत्व को बता दिया l ऑक्सीजन के अभाव में हजारों लोगों की जान चली गई। भविष्य में ऐसा न हो उसके लिए ऑक्सीजन के प्राकृतिक स्रोत यानी पेड़-पौधों को पुनः बढ़ाने की जरूरत है। यह कहना है प्रयागराज के रेकी ग्रैंड मास्टर सतीश राय का।

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एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान की ओर से रेकी सेंटर पर परिचर्चा हुई। वर्तमान परिस्थितियों पर परिचर्चा में उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा हजारों वर्ष पुरानी चिकित्सा पद्धति है। प्राकृतिक चिकित्सा के बाद ही एलोपैथ चिकित्सा आई है। उन्‍होंने कहा कि हवा में मौजूद कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस को पेड़-पौधे हवा से खींचते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं हवा में पर्याप्त मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन रहेगी तो हम बीमार नहीं होंगे। हर व्यक्ति को अपने घर व बाहर पौधों को लगाना चाहिए। शुद्ध ऑक्सीजन युक्त हवा में ध्यान, योग, प्राणायाम का अभ्यास करेंगे तो हमारी प्रतिरोधक क्षमता तुरंत विकसित होगी। नेचुरल इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए यह बहुत जरूरी है।

ईश्वरीय देन है प्रकृति चिकित्सा

सतीश राय कहते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा ईश्वरीय देन है। प्रकृति की देन है इस पर रिसर्च करके प्राकृतिक वस्तुओं, पौधों, पत्तियों, जड़ों से दवा बनाकर उसे टेबलेट के रूप में दिया तो वह एलोपैथ हो गया। जो सीधे प्राकृतिक वस्तुओं पत्ते, तने, जड़ों को पानी में उबालकर गुड, सोंठ, काली मिर्च डालकर पीया तो वह सीधे दवा हो गई।

बोले, बाबा रामदेव और आइएमए में टकराव उचित नहीं

सतीश राय ने कहते हैं कि कोरोना महामारी के समय योगगुरु बाबा रामदेव व आइएमए के बीच टकराव की स्थिति बनना दुर्भाग्यपूर्ण है। आज मनुष्य का जीवन संकट में है। ऐसे में वे सभी प्राकृतिक वस्तुओं के वजह से ही ठीक हो रहे हैं। अगर एलोपैथ की दवाइयां बनाई गई हैं तो वह भी प्राकृतिक वनस्पतियों के माध्यम से ही बनी है l स्वामी रामदेव हजारों वर्ष पुरानी प्राकृतिक चिकित्सा पर रिसर्च कर जो चीजें उन्होंने योग प्राणायाम के माध्यम से स्वस्थ रहने के लिए लोगों को सरल भाषा में समझाया। साथ ही और जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया वह अद्भुत है l कहा कि आयुर्वेद एवं एलोपैथ दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एलोपैथिक दवा भी क्या बिना प्राकृतिक वस्तुएं एवं वनस्पति के बन सकती हैं l विज्ञान की रिसर्च है- सर्जरी जो एलोपैथ को सबसे ज्यादा बेहतर बनाती हैl

एक एलोपैथी से जान बचा रहे हैं तो एक नेचुरोपैथी से जान बचा रहे

सतीश राय ने कहा आइएमए और बाबा रामदेव दोनों लोग जान बचाने वाले हैं। एक एलोपैथी से जान बचा रहे हैं तो एक नेचुरोपैथी से जान बचा रहे हैं। ऐसे में दोनों लोगों को लड़ने की क्या जरूरत है। जनहित राष्ट्रहित में इन लोगों द्वारा लोगों को जीवन प्रदान करने जीवन बचाने हेतु इस वैश्विक महामारी मैं बहुत बड़ा योगदान रहा है l यह लोग कोरोना से एक योद्धा की तरह लड़ रहे हैं और विजय हासिल हो भी रही है। इसमें दोनों लोगों को समन्वय बनाकर सेवा करना चाहिए।


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