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आरओ प्लांट : कौशांबी के डार्कजोन पर भारी पड़ रहे अवैध रूप से संचालित आरओ प्लांट

केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में कौशांबी जिले के छह विकास खंडों को डार्कजोन घोषित किया है। इसके बाद भी बिना लाइसेंस के आरओ प्‍लांट यहां बेरोकटोक चल रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 06:14 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 06:14 PM (IST)
आरओ प्लांट : कौशांबी के डार्कजोन पर भारी पड़ रहे अवैध रूप से संचालित आरओ प्लांट
आरओ प्लांट : कौशांबी के डार्कजोन पर भारी पड़ रहे अवैध रूप से संचालित आरओ प्लांट

कौशांबी, जेएनएन। भूगर्भ जल स्तर गिरने की वजह से वर्ष 2010 में केंद्र सरकार ने कौशांबी जनपद के दस विकास खंडों को डार्कजोन घोषित किया है। गर्म के दिनों जहां लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। वहीं आरओ प्लांट को बिना लाइसेंस वन एनओसी के चलाया जा रहा है। जिला मुख्यालय मंझनपुर, भरवारी, सिराथू, सरायअकिल, अझुवा, करारी, मनौरी, पूरामुफ्ती में अवैध तरीके से आर-ओ पानी बेचने का प्लांट लगा हुआ है।

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ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड का लाइसेंस नहीं है

जिला मुख्यालय मंझनपुर समेत अन्य बाजारों में की अधिकतर आरओ प्लांट अवैध तरीके से चल रहे हैं। 

किसी के पास भी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड का लाइसेंस नहीं है। जबकि मिनरल वाटर का प्लांट लगाने के लिए इस लाइसेंस का होना जरूरी है। बिना सील बंद पानी की बिक्री पर प्रतिबंध होने के बावजूद भी कस्बे में आधा दर्जन कारोबारी रोज डिब्बे के माध्यम से हजारों लीटर पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। पानी को शुद्ध बनाने के लिए हर दिन हजारों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है। इससे भूगर्भ जल स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

बोतल में भरकर 20 से 25 रुपये में बेचते हैं

हैवी बोरिंग कराकर कारोबारी धरती का पानी निकालकर उसे फिल्टर करते हैं। इसके बाद उसे चिलर में डालकर ठंडा करते हैं। इसी पानी को कूल केज व ट्रांसपेरेंट बोतल में भरकर 20 से 25 रुपये में बेचते हैं। कई नगर पंचायतें ऐसी हैं, जहां आरओ प्लांट तीन व चार-चार हैं। कारोबारी शादी-विवाह में भी पानी की सप्लाई करते है। जहां गिरते भू-जल स्तर के कारण जिले में पानी की भयावह स्थिति है। 150 से 200 फिट की बोरिंग वाले हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं।

फिल्टर करने में हर दिन हजारों लीटर पानी व्‍यर्थ में बहा रहे

बूंद-बूंद पानी के लिए गांवों के लोगों को परेशानी हो रही है। वही कारोबारी पानी को फिल्टर करने में हर दिन हजारों लीटर पानी व्‍यर्थ में बहा रहे हैं। किसी के पास पानी बेचने का लाइसेंस नहीं है। न ही पानी की जांच कराकर किसी ने एनओसी ली है। सालों से आरओ पानी बेचने का खेल शुरू है। एक भी प्लांट की अधिकारियों ने जांच नहीं की है। जिले में 22 आरओ प्लांट चल रही है। इनमें हर दिन हजारों लीटर पानी बहाया जा रहा है। जो डार्कजोन पर भारी पड़ रहा है।

आरओ प्‍लांट लगाने का यह है नियम

- आरओ प्लांट लगाकर ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड लखनऊ (बीओआइएस) अनुमति लेनी पड़ती है।

- बीओआईएस से अनुमति मिलने के बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी लाइसेंस देते हैं।

- आरओ-प्लांट की फर्म का सेल्स टैक्स देना पड़ता है।

- श्रम विभाग में प्लांट में काम करने वाले कर्मियों का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।

- आरओ प्लांट के पानी की हर माह जांच रिपोर्ट भेजनी पड़ती है।

- आरओ प्लांट चलाने के लिए कामर्शियल विद्युत कनेक्शन होना चाहिए।

एसडीएम बोले-अवैध आरओ प्‍लांट सीज होंगे

एडीएम मनोज कुमार कहते हैं कि आरओ प्लांट अवैध तरीके से चल रहे हैं। इसकी शिकायत पिछले वर्ष मिली थी। चार आरओ प्लांट को बंद भी कराया गया था। यदि अब भी आरओ प्लांट बिना पंजीयन के चलाए जा रहे हैं तो मामला गंभीर है। जहां कराकर अवैध तरीके से संचालित प्लांट सीज कराया जाएगा।


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