Azad Park: हाई कोर्ट के आदेश पर तोड़ा अवैध कब्जा, एक मस्जिद, तीन मजार और 14 कब्र हटाई प्रशासन ने
पुलिस-प्रशासन ने पीडीए और नगर निगम की टीम के साथ अवैध कब्जे हटाने का काम शुरू किया। शाम चार बजे तक पार्क में एक मस्जिद तीन मजार 14 कब्र समेत तीन छोटे मंदिर को भी हटा दिया गया। अतिक्रमण तोड़ने और हटाने में बुलडोजर का भी प्रयोग किया गया।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क (कंपनी बाग) में हुए अवैध निर्माण को गुरूवार आधी रात तक में तोड़ दिया गया। पुलिस-प्रशासन और पीडीए की टीम ने एक मस्जिद, तीन मजार, 14 कब्र और तीन छोटे मंदिर वहां से हटा दिए हैं। इनके स्थान पर पौधे रोप दिए गए हैं। वहां दिन भर पुलिस फोर्स तैनात रही हालांकि कार्रवाई के दौरान किसी तरह का विरोध नहीं झेलना पड़ा।
अवैध कब्जे हटाकर लगा दिए गए पौधे
हाई कोर्ट ने शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क में अवैध कब्जा हटाकर 1975 के पहले की स्थित बहाल करने के लिए कहा था। इसके लिए हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन को शुक्रवार आठ अक्तूबर तक का वक्त दिया था। पूरी तैयारी के बाद गुरूवार दोपहर से लेकर देर रात तक पुलिस-प्रशासन ने पीडीए और नगर निगम की टीम के साथ अवैध कब्जे हटाने का काम किया। गुरूवार आधी रात तक में पार्क में एक मस्जिद, तीन मजार, 14 कब्र के साथ ही तीन छोटे मंदिर, कैंटीन स्थल और टीन शेड को भी हटा दिया गया। अतिक्रमण तोड़ने और हटाने में बुलडोजर का भी प्रयोग किया गया। झील के सामने स्थित प्राचीन मजार के समीप बने तीन धार्मिंक निर्माणों और स्टेडियम के पीछे धार्मिक निर्माणों को ढहाने के बाद मलबे से वहीं समतल करा दिया गया। उन जगहों पर पौधे भी लगा दिए गए।
चौतरफा तैनात रही पुलिस-पीएसी
अवैध कब्जा हटाने का काम शुरू होने से पहले ही गुरूवार दोपहर पार्क के बाहर भीड़ जुट गई थी। शांति व्यवस्था के लिए कंपनी बाग के बाहर इंडियन प्रेस चौराहा, गेट नंबर एक, दो, तीन समेत चारों ओर पुलिस और पीएसी बल तैनात रहा। अंदर झील के आसपास और मदन मोहन मालवीय स्टेडियम के पीछे भी एसीएम प्रथम समेत बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रही। गेट नंबर एक से मजार और स्टेडियम की तरफ आने-जाने वालों से पुलिस कड़ी पूछ-ताछ भी कर रही थी। इससे लोगों को असुविधा भी हो रही थी। स्टेडियम के पीछे लोगों के जाने पर रोक लगा दी गई थी।
झील में उग आइ झाड़ियां, जागिंग ट्रैक पर गड्ढे
कंपनी बाग के अंदर लाखों रुपये की लागत से जिस झील का निर्माण कराया गया था। वह झील बदहाली की शिकार हो गई है। झील सूख गई है और उसमें बड़ी झाड़ियां उग आइ हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अधिकारी ऐसी चीजों का निर्माण कराते ही क्यो हैं, जिसकी देखरेख न की जा सके। जागिंग ट्रैक पर भी जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। ट्रैक पर जागिंग करते समय थोड़ी सी असावधानी होने पर गड्ढे में पैर चले जाने पर हादसे की भी आशंका बनी रहती है।