सरकारी ठेकों पर बिक रही अवैध शराब, दूसरे राज्यों से लाकर की जाती है चोरी-छिपे या ठेके पर बिक्री Prayagraj News
वैध शराब खपाने के लिए सरकारी ठेके सबसे मुफीद हैं। पुलिस और आबकारी विभाग की कार्रवाई में इसकी पुष्टि भी अक्सर होती रहती है। कभी गंगापार तो कभी यमुनापार की अलग-अलग लाइसेंसी दुकानों से अवैध देसी शराब बेचने की शिकायत मिली
प्रयागराज, जेएनएन। अवैध शराब खपाने के लिए सरकारी ठेके सबसे मुफीद हैं। पुलिस और आबकारी विभाग की कार्रवाई में इसकी पुष्टि भी अक्सर होती रहती है। कभी गंगापार तो कभी यमुनापार की अलग-अलग लाइसेंसी दुकानों से अवैध देसी शराब बेचने की शिकायत मिली, जिसके बाद मुकदमा दर्ज करते हुए गिरफ्तारी की गई। दुकानों का लाइसेंस भी निरस्त किया गया था। दूसरे प्रदेश की शराब सबसे ज्यादा होली के दौरान लाई जाती है और कम लागत में बड़ा मुनाफा लोग कमाते हैं। यही कारण है कि हर साल की तरह इस बार भी आबकारी विभाग के उच्चाधिकारियों ने प्रर्वतन अभियान यानी अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए थे, मगर मातहत उस पर पूरी तरह से अमल करने में कमजोर हैं। इसके चलते हंडिया जैसे कई घटनाएं हो चुकी हैं।
स्प्रिट मिलाकर बनाई जाती है शराब
विभागीय सूत्रों का दावा है कि गंगापार के सोरांव, हंडिया, फूलपुर समेत कई इलाके में स्थित कुछ सरकारी दुकानों की आड़ में दूसरे प्रदेश की शराब बेची जाती है। वहीं, यमुनापार के मेजा, कोरांव और मध्य प्रदेश से सटे इलाके में अवैध शराब चोरी-छिपे बिकती है। तस्कर मध्य प्रदेश से अलग-अलग ब्रांड के अवैध देसी शराब लाकर यहां सप्लाई करते हैं और फिर उसकी बिक्री कतिपय दुकानों के साथ मिलकर करते हैं। फूलपुर में शराब से सात लोगों की मौत के बाद जांच में पता चला था कि अवैध शराब की सप्लाई करने वाले शख्स प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। कुछ को ट्रेस करने का भी दावा किया गया था, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। अब हंडिया में जहरीली शराब से मौतों ने पुलिस के साथ ही आबकारी विभाग की सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। जिम्मेदार अफसर और कर्मचारी भी इस बात को मानते हैं कि तस्कर स्प्रिट व केमिकल मिलाकर शराब तैयार करके बेचते हैं। हंडिया, फूलपुर समेत कई स्थानों पर अवैध शराब बनाने की फैक्ट्री का भी भंडाफोड़ हो चुका है, लेकिन नकली रैपर, क्यूआर कोड और होलोग्राम बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।