कोविड से है बचना तो इसके इतिहास को भी समझना, महामारी की दूसरी लहर होती है पहली से ज्यादा घातक
अब से 100 साल पहले आई महामारी का अध्ययन लोगों ने कोविड-19 की पहली लहर के दौरान किया होता तो शायद उसी अनुसार अपने बचाव के प्रति पहले से सतर्कता रहती। तो फिर आज जो हालात देखने पड़ रहे हैं उससे शायद बचा जा सकता था।
प्रयागराज, जेएनएन। महामारी जब-जब आई है तो उसकी दूसरी लहर पहली से ज्यादा घातक रही है। अब से 100 साल पहले आई महामारी का अध्ययन लोगों ने कोविड-19 की पहली लहर के दौरान किया होता तो शायद उसी अनुसार अपने बचाव के प्रति पहले से सतर्कता रहती तो फिर आज जो हालात देखने पड़ रहे हैं उससे शायद बचा जा सकता था। यह कहना है कि स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के मेडिसिन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ फिजीशियन डा. अनुभा श्रीवास्तव का। उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए कुछ जरूरी सुझाव दिए।
कोविड व्यवहार पर करना है अमल
डा. अनुभा कहती हैं कि कोविड-19 की पहली लहर आए एक साल हो गए। इस एक साल में सभी के मन मस्तिष्क पर कोविड व्यवहार हो जाना चाहिए था लेकिन लोगों का ध्यान 'महामारी से हट गया। अब उसी का खामियाजा सामने है।
इन्फ्लूएंजा वायरस बदलता है स्वरूप
इन्फ्लूएंजा वायरस में यह खासियत होती है कि वह अपना स्वरूप बदलता रहता है। तभी तो, पहले वाली लहर में अधिकतर उन्हीं की जान गई जिन्हें पहले से डायबिटीज, हार्ट, अस्थमा, बीपी की बीमारी थी। लेकिन अब तो वायरस की चपेट में आने से युवाओं की भी जान जा रही है। कई युवा अब भी अस्पतालों में भर्ती हैं।
हल्का बुखार भी हो तो समझिए कोविड
आजकल सीजनल बीमारियां होना स्वाभाविक है। ऐसे में अगर किसी को हल्का बुखार भी आ जाए तो कोविड के और लक्षण दिखने का इंतजार न करें। प्रथम दृष्टया मान लें कि आपको कोविड है। सबसे पहले तो घर में आइसोलेट हो जाएं। इसके बाद कोविड टेस्ट कराएं और जो दवा बताई गई है उसे समय से खाएं।
सफाई और बचाव जरूरी है
हमें अपने हाथ को साफ रखने की आदत डालनी होगी। हाथ ही नहीं, कपड़े शरीर व घर को भी साफ रखना जरूरी है। साफ और ताजा खाना खाएं। बाहर की खुली हुई चीजें न खाएं। लोग मास्क जरूर लगाएं क्योंकि कोरोना का स्प्रेड अगर हवा में है तो मास्क ही आपको बचाएगा। मास्क को भी तरीके से लगाएं।
रेमडेसिविर संजीवनी नहीं
आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्स) का भी कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन संजीवनी बूटी नहीं है। यह सभी मरीजों को नहीं लगाया जा सकता। न ही इसकी कोई गारंटी है कि इस इंजेक्शन के लगने से जान बच ही जाएगी। इसलिए डाक्टर भी इसकी प्राथमिकता उन्हीं मरीजों पर दें जिन्हें वास्तविक रूप से इसकी जरूरत है।
बीमारी की गंभीरता को कम करती है वैक्सीन
कोविड वैक्सीन सभी को लगवाना चाहिए। अब तो शासन ने भी 18 से 44 साल वालों को इसे लगाने की इजाजत दे दी है। वैक्सीन दरअसल शरीर मेें वायरस के संक्रमण की गंभीरता को कम कर देती है। यानी इसके लगवाने के बाद कोरोना किसी को हो भी जाए तो जान जाने का खतरा कम से कम रहेगा।
खुद करें अपनी मानिटरिंग
जो भी लोग कोविड संक्रमित हैं उन्हें अपनी मॉनिटरिंग खुद करनी होगी। पल्स आक्सीमीटर से आक्सीजन का लेवेल नापते रहें। आक्सीजन सेचुरेशन 90 से कम मिले तो चिंता करना शुरू कर दें। इस दशा में अस्पताल की ओर भागदौड़ करने से पहले अपने डाक्टर से सलाह जरूर ले लें। यह ध्यान रखें कि कोविड हो जाने पर न दहशत में आना है न ही घबराने की जरूरत है। क्योंकि घबराहट से इम्यूनिटी और कमजोर हो जाती है।
डा. अनुभा श्रीवास्तव
फिजीशियन
एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन, एसआरएन