आधार से मोबाइल नंबर को लिंक नहीं कराया तो फिर धान नहीं बेच पाएंगे किसान
खरीद करने के लिए क्रय केंद्रों की सूची तैयार होने लगी है। वहीं दूसरी ओर जो किसान अपना पंजीकरण खाद्य विभाग के पोर्टल पर करा रहे हैं उनका आधार से मोबाइल नंबर लिंक किया जाएगा ताकि धान की बिक्री के समेत पैसे के भुगतान की जानकारी किसानों को मिल सके।
प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। धान खरीद शुरू होने में भले ही वक्त है, लेकिन अभी से ही सारी तैयारियां शुरू हो गई हैं। धान खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए नया प्रयोग किया जा रहा है। अब किसान को आधार से मोबाइल नंबर लिंक कराना होगा। नहीं कराने पर किसान अपना धान क्रय केंद्र पर नहीं बेच पाएंगे। 24 घंटे में तीन बार ओटीपी भेजा जाएगा। ओटीपी केवल 10 मिनट तक ही वैध होगा। बैंक विवरण भरने की आवश्यकता नहीं है।
क्रय केंद्र व बैंक का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा
जिले में एक नवंबर से 28 फरवरी तक धान की खरीद होगी। खरीद करने के लिए क्रय केंद्रों की सूची तैयार होने लगी है। वहीं, दूसरी ओर जो किसान अपना पंजीकरण खाद्य विभाग के पोर्टल पर करा रहे हैं, उनका आधार से मोबाइल नंबर लिंक किया जाएगा ताकि धान की बिक्री के साथ ही पैसे के भुगतान की जानकारी किसानों को मिल सके। इसके लिए उनको क्रय केंद्र व बैंक का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। आधार लिंक का कार्य सहज जनसेवा केंद्र पर होगा। यह भी किसानों को बताया जा रहा है कि अपनी खतौनी समेत अन्य अभिलेख आधार नंबर, मोबाइल नंबर किसी अन्य से साझा नहीं करें। उसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
अधिक मिलेगा समर्थन मूल्य
इस बार धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी हुई है। जहां पहले कॉमन धान 1868 रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं इस बार यह धान 1940 रुपये क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसी तरह से ग्रेड-ए धान 1880 रुपये से बढ़ाकर 1960 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
एडीएम कर रहे मानीटरिंग
एडीएम शत्रोहन वैश्य को जिला खरीद अधिकारी नामित किया गया है। क्रय केंद्रों की साफ-सफाई के अलावा पोर्टल पर हो रहे पंजीकरण की भी जानकारी जिला खरीद अधिकारी रोजाना ले रहे हैं। किसानों की सहूलियत के लिए उनका सीयूजी नंबर व कार्यालय का नंबर सार्वजनिक किया गया है। किसी प्रकार की समस्या आने के बाद उनके नंबर पर संपर्क भी कर सकते हैं।
किसानों को अपना आधार मोबाइल नंबर से लिंक कराना होगा। 24 घंटे में तीन बार किसानों के मोबाइल पर ओटीपी जाएगी। धान खरीद में पारदर्शिता के लिहाज से ऐसा प्रयोग किया जा रहा है।
- अजीत कुमार त्रिपाठी, डिप्टी आरएमओ