मनकामेश्वर मंदिर : मनोकामना पूरी होने के लिए खिंचे चले आते हैं भक्त Prayagraj News
यूं तो प्रयागराज शहर में शिव मंदिर तो दो दर्जन से अधिक स्थानों पर स्थित हैं। वहीं यमुना नदी किनारे बांध रोड पर श्री मनकामेश्वर मंदिर में लोगों की आस्था सबसे अधिक है।
प्रयागराज, जेएनएन। यहां आकर मन में आस्था, समर्पण और विश्वास का मन में संचार होता है। कालिंदी के तट पर प्राकृतिक छटा का भी अनूठा आनंद मिलता है। जी हां यहां हम बात कर रहे हैं मनकामेश्वर मंदिर की। शहर क्या आसपास के ग्रामीण अंचलों के साथ ही तमाम जनपदों के भक्तों की भीड़ यहां वर्ष भर रहती है। इसका कारण भी है। भक्तों का मानना है कि इस प्राचीन शिव मंदिर में सच्चे मन से जो भी भक्त मांगते हैं, भोलेनाथ उसकी मनोकामना पूरी करते हैं। आज शुक्रवार को महाशिवरात्रि का पर्व है, सुबह से ही आस्थावानों की यहां भीड़ यहां पूजन-अर्चन को जुटी है।
करीब चार सौ साल पुराने मनकामेश्वर मंदिर में में जुटती है भीड़
यूं तो प्रयागराज शहर में शिव मंदिर तो दो दर्जन से अधिक स्थानों पर स्थित हैं। वहीं यमुना नदी किनारे बांध रोड पर श्री मनकामेश्वर मंदिर में लोगों की आस्था सबसे अधिक है। यह करीब 400 साल पुराना शिवालय है। यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। सावन माह में तो यहां प्रत्येक दिन हजारों लोग जल चढ़ाने व दूध दही से अभिषेक करने पहुंचते हैं।
महाशिविरात्रि पर मंदिर में दर्शन को लगती है लंबी लाइन
महाशिविरात्रि की तो बात ही न पूछिए। इस पर्व पर सैकड़ों की संख्या में भक्तों की लाइन लगी रहती है। महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में भक्तों की तादाद इतनी अधिक हो जाती है कि मानो तिल रखने की जगह भी नहीं बचती। सुबह से ही लंबी लाइन इस बात का प्रमाण देती है। सैकड़ों की संख्या में खड़े भक्त जयकारा लगाते अपनी बारी की प्रतीक्षा करते नजर आते हैं। कल महाशिवरात्रि का पर्व है, ऐसा नजारा नजर आएगा। भक्तों की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगने पर सभी की मनोकामना पूरी होती है।
दर्शन पाने से जीवन होता है खुशहाल : महंत श्रीधरानंद
मनकामेश्वर मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी कहते हैं कि जबसे प्रयागराज में यह शिवलिंग स्थापित है, तभी से यहां लोग खुशहाल जीवन जी रहे हैं। प्राकृतिक आपदाएं इस प्रयाग नगरी को छू भी नहीं पातीं। मनकामेश्वर मंदिर में एक बार आकर दर्शन करने से ही सभी संकट से मुक्ति मिल जाती है। सावन माह में यहां लाखों लोग यूं ही नहीं आते, कहीं न कहीं उनमें आस्था इसलिए भी है क्योंकि यहां शिवलिंग का दर्शन जिसने भी किया है उसे सुखद फल की प्राप्ति जरूर हुई है।