ड्यूटी के बाद घर लौट रहे होमगार्ड की हादसे में गई जान Prayagraj News
हालत गंभीर होने के कारण उन्हें एंबुलेंस से शहर के एसआरएन अस्पताल लाया जा रहा था लेकिन रास्ते में सूर्य प्रताप की सांस थम गई। अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
प्रयागराज,जेएनएन : विभाग की संवेदनहीनता के चलते 55 वर्षीय होमगार्ड सूर्य प्रताप उपाध्याय की जान चली गई। हाईकोर्ट में ड्यूटी के बाद शुक्रवार रात 60 किलोमीटर दूर घर लौटते समय मेजा में उन्हें बाइक ने जोरदार टक्कर मार दी थी। अस्पताल ले जाते समय उनकी सांस थम गई।
मांडा में आंधी भरारी गांव निवासी सूर्य प्रताप उपाध्याय की ड्यूटी हाईकोर्ट में लगी थी। शुक्रवार को दिन में नौ से पांच बजे की ड्यूटी के बाद वह साथी होमगार्ड विनय दुबे के साथ मैजिक गाड़ी में बैठकर मांडा के लिए रवाना हुए थे। रात करीब साढ़े सात बजे मेजा रोड के आगे कोटहा गांव के पास गाड़ी में खराबी आने पर वे दोनों पैदल उरुवा चौराहे की तरफ जा रहे थे। वहां से उन्हें दूसरा सवारी वाहन मिल जाता। मगर कुछ ही आगे जाने पर तेज रफ्तार में बेकाबू बाइक ने पीछे से सूर्य प्रताप को टक्कर मार दी जबकि वह एकदम किनारे थे। सड़क पर गिरने से होमगार्ड के सिर पर जबरदस्त चोट पहुंची। साथ मौजूद विनय उन्हें किसी तरह उरुवा के पास एक निजी अस्पताल ले गया। हालत गंभीर होने के कारण उन्हें एंबुलेंस से शहर के एसआरएन अस्पताल लाया जा रहा था लेकिन रास्ते में सूर्य प्रताप की सांस थम गई। अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। खबर पाकर परिवार के लोग भी आ गए। सूर्य प्रताप की पत्नी का निधन हो चुका था। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बेटे मुकेश का कहना है कि पिता ने विभाग की वजह से जान गंवा दी। कम से कम परिवार को आर्थिक मदद मिल जाए।
जागरण ने उजागर की थी समस्या (पीडीएफ)
ओवरएज यानी 55 से 58 साल के तमाम होमगार्ड को घर से 65 किलोमीटर से भी दूर शहर में तैनाती से होने वाली समस्या के बारे में दैनिक जागरण ने 26 अगस्त को ही खबर प्रकाशित की थी। उम्रदराज होमगार्ड को ड्यूटी के बाद शहर से घर लौटने में दिक्कत होती है। कुछ की आंख की रोशनी कमजोर हो चुकी है जिससे रात में कई बार वे दुर्घटना का शिकार हुए लेकिन होमगार्ड विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। होमगाड्र्स की मांग रही है कि उन्हें पुलिस के बराबर वेतन और सुविधाएं नहीं मिलती इसलिए कम से कम बुजुर्ग होमगार्ड की उसी तहसील में डयूटी लगाई जाए। संवेदनहीनता की हद यह कि होमगार्ड सूर्य प्रताप उपाध्याय के निधन के बाद कमांडेंट समेत कोई अधिकारी शोक जताने भी पोस्टमार्टम हाउस नहीं पहुंचा। कुछ होमगार्ड और बीओ ही पहुंचे थे।