माघ मेला से श्रद्धालुओं के साथ घर-घर जा रहीं गंगा मइया Prayagraj News
प्रयागराज माघ मेला-2020 में देश-विदेश से भक्तों को संगम स्नान के लिए आने का सिलसिला जारी है। लोग अपने साथ विभिन्न पात्रों में गंगाजल ले जा रहे हैं।
प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]। गंगाजल घरों में रखने का विशेष धार्मिक महत्व है। यही वजह है कि संगम स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु गंगा जल अपने साथ ले जाने में अधिक रुचि लेते हैं। माघ मेला क्षेत्र में संगम नोज से लेकर महाबीर मार्ग और अक्षयवट मार्ग पर भी प्लास्टिक के डिब्बों की दुकानों की बाढ़ सी आ गई है। श्रद्धालुओं के साथ उनके घर भी गंगाजल के जाने से आस्था की डोर और मजबूत हो चली है।
...तो इसलिए प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहा गया है
गंगा और यमुना नदी का मिलन स्थल प्रयागराज में ही है। इसीलिए प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहा गया है। पौराणिक कथा के अनुसार यही वह पावन स्थल है जहांं स्वयं ब्रह्माजी ने आकर यज्ञ किया था। ऐसे में संगम के जल की महिमा अपने आप में निराली हो जाती है। माघ मेले में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भी देखा जा रहा है। नगरवासी और दूरदराज से आने वाले श्रद्धालु गंगाजल अपने साथ घर भी ले जाने मेें रुचि ले रहेे हैं। कोई बोतल में तो कोई प्लास्टिक के डिब्बे खरीद कर गंगा जल ले जा रहा है। इससे डिब्बे के विक्रेताओं की भी पौ बारह है। संगम नोज, महाबीर मार्ग, अक्षयवट मार्ग पर जगह डिब्बों की दुकानें लगी हैं। दुकानदारों के अनुसार खरीद भी पिछले वर्षों की तुलना में अधिक हो रही है।
महंत स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी कहते हैं
परमहंस आश्रम टीकरमाफी के महंत स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी कहते हैं कि भगवान तीन रूपों में हैं। निराकार, नराकार और नीराकार। निराकार यानी ब्रह्म रूप में, नराकार यानी राम और कृष्ण के रूप में तथा नीराकार मतलब गंगाजी के रूप में। वर्तमान में भगवान का केवल एक ही रूप नीराकार, दृश्यमान है। प्रयागराज में यमुनाजी, गंगाजी के हृ़दय में समाहित हो जाती हैं। ऐसे मे यहां के संगम के जल जैसा पावन कुछ और नहीं।