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हाई कोर्ट ने कहा- बिना एफआइआर सिटी मजिस्ट्रेट को आरोपित को तलब करने का अधिकार नहीं

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जातिसूचक अपशब्द कहने मारपीट और धोखाधड़ी करने की शिकायत पर अपर सिटी मजिस्ट्रेट गाजियाबाद द्वारा आरोपित को तलब करने के आदेश को रद कर दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 12:41 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 12:41 PM (IST)
हाई कोर्ट ने कहा- बिना एफआइआर सिटी मजिस्ट्रेट को आरोपित को तलब करने का अधिकार नहीं
हाई कोर्ट ने कहा- बिना एफआइआर सिटी मजिस्ट्रेट को आरोपित को तलब करने का अधिकार नहीं

प्रयागराज, जेएनएन।  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जातिसूचक अपशब्द कहने, मारपीट और धोखाधड़ी करने की शिकायत पर अपर सिटी मजिस्ट्रेट गाजियाबाद द्वारा आरोपित को तलब करने के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत बिना एफआइआर दर्ज किए मजिस्ट्रेट को किसी व्यक्ति को तलब करने का अधिकार मिला हो।

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यह आदेश न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय व न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की खंडपीठ ने सुधीर मलिक की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। अपर नगर मजिस्ट्रेट गाजियाबाद ने याची को धोखाधड़ी करने और सुनील कुमार को जातिसूचक अपशब्द कहने की शिकायत पर अपने समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया था, जिसे  हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

याचिका पर अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने बहस की। इनका कहना था कि शालीमार गार्डन गाजियाबाद के निवासी याची के खिलाफ विपक्षी ने धोखाधड़ी, मारपीट व जातिसूचक अपशब्दों का प्रयोग करने की शिकायत की। इस पर अपर नगर मजिस्ट्रेट ने 19 नवंबर 2019 के आदेश से याची को तलब किया और सफाई मांगी, जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गई मजिस्ट्रेट को मजिस्ट्रेट को सम्मन करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को रद करते हुए कानून के मुताबिक कार्रवाई करने की छूट दी है।


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