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हाईकोर्ट ने कहा-चुनावी वादे पूरे नहीं हो रहे तो उचित फोरम में करें शिकायत, लगाया 50 हजार हर्जाना

लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं की बेलगाम जुबान पर नियंत्रण और चुनावी वादे पूरे न करने पर कार्रवाई की मांग करने वाले याची को इलाहाबाद हाईकोर्ट से करारा झटका लगा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 05:59 PM (IST)
हाईकोर्ट ने कहा-चुनावी वादे पूरे नहीं हो रहे तो उचित फोरम में करें शिकायत, लगाया 50 हजार हर्जाना
हाईकोर्ट ने कहा-चुनावी वादे पूरे नहीं हो रहे तो उचित फोरम में करें शिकायत, लगाया 50 हजार हर्जाना

प्रयागराज, जेएनएन। लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं की बेलगाम जुबान पर नियंत्रण और चुनावी वादे पूरे न करने पर कार्रवाई की मांग करने वाले याची को इलाहाबाद हाईकोर्ट से करारा झटका लगा है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है और 50 हजार हर्जाना लगाया है। याचिका में भाजपा के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा है कि नेताओं के भाषणों को लेकर याची उचित फोरम में शिकायत कर सकता है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने अलीगढ़ के खुर्शीदुर्रहमान उर्फ आर रहमान की याचिका पर दिया है। खंडपीठ ने कहा है कि कोर्ट अन्तर्निहित शक्तियों का प्रयोग ऐसी याचिकाओं पर नहीं कर सकती। ऐसी याचिका प्रचार के लिए दाखिल की गई है यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। शीर्ष कोर्ट ने भी हाईकोर्ट में बढ़ते मुकदमों की संख्या के लिए व्यर्थ की याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार करने को इसका कारण माना है और कहा है कि व्यर्थ की याचिकाओं पर भारी हर्जाना लगाकर हतोत्साहित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने हर्जाना राशि एक माह में जमा करने तथा उसे एडवोकेट एसोसिएशन को अधिवक्ता कल्याण में खर्च करने के लिए देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हर्जाना न जमा करने पर राजस्व वसूली प्रक्रिया अपनाई जाए।

याची का कहना था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी वादे किए। इससे जनता को गुमराह कर वोट प्राप्त कर लिया और फिर सरकार बनाने पर वादे पूरे नहीं किए, जिसके लिए पार्टी पर आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए। याचिका में राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त व एसएसपी अलीगढ़ को पक्षकार बनाया गया था। चुनाव आयोग के अधिवक्ता बीएन सिंह का कहना था कि वादा पूरा न करने पर पार्टी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती, बल्कि जनतंत्र में जनता तय करे कि उस पार्टी को वोट देना है या नहीं।

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