आपराधिक घटना का किसी और थाने में लिखा गया मुकदमा नहीं होगा रद, हाई कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट ने दिल्ली में हुई आपराधिक घटना की बुलंदशहर के अनूप शहर थाना में दर्ज प्राथमिकी को रद करने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल व न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने अनिल कुमार राठौर की याचिका पर दिया
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि घटना स्थल वाले थाने की बजाय दूसरे पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज होने पर क्षेत्राधिकार के आधार पर एफआइआर रद नहीं की जा सकती। यह विवेचना अधिकारी पर है कि वह प्रारंभिक जांच के बाद केस क्षेत्राधिकार वाले पुलिस थाना को स्थानांतरित कर दे। हाई कोर्ट ने दिल्ली में हुई आपराधिक घटना की बुलंदशहर के अनूप शहर थाना में दर्ज प्राथमिकी को रद करने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल व न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने अनिल कुमार राठौर की याचिका पर दिया है।
खुद को डीएसपी बताते हुए तलाशी लेने और मारपीट का केस
याची का कहना था कि प्राथमिकी से उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता। अनूपशहर थाने की पुलिस को दिल्ली में घटी घटना की एफआइआर दर्ज कर विवेचना करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। मामले के अनुसार छह नामित व कुछ अज्ञात लोगों ने स्वयं को डीएसपी व पुलिस बताते हुए शिकायतकर्ता के दिल्ली स्थित आवास में तलाशी ली। घर के सदस्यों को मारा-पीटा और दो लाख रुपये की कीमत का घरेलू सामान बर्बाद कर दिया।
ऐसा अपराध जिससे हो सकती है आजीवन कैद
याची पर षड्यंत्र करने व शिकायतकर्ता को आजीवन कैद की सजा दिलाने के साक्ष्य गढ़ने का आरोप है। याची का कहना था कि साक्ष्य गढ़ने का आरोप के साक्ष्य नहीं है। इसलिए उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता। याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा एफआइआर दर्ज होना न्यायिक कार्यवाही की शुरुआत है। जो विवेचना के दौरान मिले साक्ष्य से आगे बढ़ती है। गैर क्षेत्राधिकार वाली पुलिस को तय करना है कि किस थाना का क्षेत्राधिकार है।