डीएम-एसएसपी का निलंबन और सीबीआइ जांच हो, हाई कोर्ट बार के पूर्व उपाध्यक्ष मौत मामले में याचिका
याचिका में वकीलों ने प्रयागराज पुलिस की इस मामले में की गई कार्रवाई को संदिग्ध बताते हुए डीएम और एसएसपी के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्य करने के लिए निलंबन की कार्यवाही करने की मांग की गई है। डीजीपी से इस मामले में हलफनामा लिया जाना चाहिए।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के छह वकीलों ने लेटर पेटीशन दाखिल कर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सीनियर उपाध्यक्ष मंगला प्रसाद त्रिपाठी की रहस्यमय हालात में मौत मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। साथ ही इस याचिका में वकीलों ने प्रयागराज पुलिस की इस मामले में की गई कार्रवाई को संदिग्ध बताते हुए डीएम और एसएसपी के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्य करने के लिए निलंबन की कार्यवाही करने की मांग की गई है। डीजीपी से इस मामले में हलफनामा लिया जाना चाहिए।
गुमशुदगी के दो रोज बाद बुलाकर दिखाए थे घरवालों को कपड़े
जनहित याचिका हाईकोर्ट के वकील गौरव द्विवेदी, रजनीश सिंह, ओ पी सिंह व तीन अन्य वकीलों की तरफ से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि घर वालों ने लापता मंगला प्रसाद त्रिपाठी के बारे में कुछ पता नहीं चल पाने पर कर्नलगंज थाना प्रयागराज में गुमशुदगी रिपोर्ट पांच जनवरी को दर्ज करा दी थी। पुलिस ने दो दिन बाद सात जनवरी को मंगला के परिवारजन को बुलाकर उनके लावारिश कपड़ों को दिखाया। कपड़े की पहचान किए जाने पर घरवालों को पुलिस ने बताया कि त्रिपाठी की मौत हो गई थी। पुलिस ने लावारिश में उनका दाह संस्कार कर दिया है।
लावारिश शव के अंतिम संस्कार में पुलिस एक्शन उचित नहीं रहा
याचिका में दाह संस्कार की कार्यवाही को अनुचित माना है। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने दाह संस्कार करने से पूर्व न तो मृतक कौन है, इसके बारे में पता करने की कोशिश की और न ही ऐसे मामलों में मृत शरीर का संस्कार करने से पूर्व तय गाइडलाइन का ही पालन किया गया। कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने कई निर्णयों में कहा है कि शव का भी सम्मान के साथ निष्पादन का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। कहा गया है कि मौत को लेकर पुलिस की कहानी संदिग्ध है इसलिए सीबीआइ जांच और निलंबन किया जाना चाहिए।