यूपी में कंटेनमेंट जोन और हॉट स्पाट एरिया की सभी जिला अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी जिला जजों को कंटेनमेंट जोन व हॉट स्पाट एरिया की अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन दाखिले के साथ मुकदमों की सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी जिला जजों को कंटेनमेंट जोन व हॉट स्पाट एरिया की अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन दाखिले के साथ मुकदमों की सुनवाई करने का निर्देश दिया है। महानिबंधक अजय कुमार श्रीवास्तव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सिविल जज सीनियर व सिविल जज कनिष्ठ की अदालतें वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करेगी। इनमें लंबित व नई जमानत अर्जी, अग्रिम जमानत अर्जी, अतिआवश्यक आपराधिक प्रकीर्ण अर्जियां, सिविल निषेधाज्ञा मामले, विचाराधीन कैदी की रिमांड व न्यायिक कार्य, या जिस मामले की सुनवाई जिला जज जरूरी समझें उसकी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग से की जाएगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के महानिबंधक अजय कुमार श्रीवास्तव ने जिला न्यायालयों को स्थानीय स्तर पर एक ई-मेल बनाने और उसका विस्तृत ब्योरा जिला न्यायालय की वेबसाइट पर देने को कहा है। इस ई-मेल पर जमानत प्रार्थना पत्र, अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र और अन्य जरूरी मामलों के प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाएंगे। वकीलों द्वारा ई-मेल से भेजे गए प्रार्थना पत्रों में वकील व वादकारी का पूरा ब्योरा और मोबाइल नंबर देना अनिवार्य होगा। जिला न्यायालय का कंप्यूटर विभाग ऐसे प्रार्थना पत्रों की सूची तैयार करेगा और ये प्रार्थना पत्र सीआइएस पर भी अपलोड किए जाएंगे। प्रार्थना पत्रों में किसी प्रकार का डिफेक्ट होने पर उसे उसी दिन संबंधित वकील को सूचित करना होगा। जिन प्रार्थना पत्रों में कोई डिफेक्ट न हो, उन्हेंं कॉजलिस्ट में सूचीबद्ध किया जाय।
जमानत और अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्रों की प्रति अभियोजन को उपलब्ध कराने के लिए भी स्थानीय स्तर पर तंत्र तैयार करने का निर्देश दिया गया है। अभियोजन को निर्धारित समय में जवाब दाखिल करना होगा। हाईकोर्ट ने वकीलों और वादकारियों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही इसका प्रचार-प्रसार करने को कहा है। हेल्पलाइन के माध्यम से कॉजलिस्ट, मुकदमों के लिस्टिंग की जानकारी और वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई के लिंक, ई-कोर्ट ऐप आदि की जानकारी दी जाएगी। हेल्पलाइन से ही वकीलों व वादकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई के तरीके, लिंक से जुड़ने की प्रक्रिया आदि की भी जानकारी दी जाएगी। वीडियो कांफ्रेंसिंग के लिए जिस्ती मीट सॉफ्टवेयर का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग से मुकदमों की सुनवाई के लिए स्थानीय बार एसोसिएशनों का भी सहयोग लेने को कहा गया है। ई-मेल से प्राप्त प्रार्थना पत्रों और उससे संबंधित रिकार्ड को अपने निवास स्थान के कार्यालय से काम कर रहे न्यायिक अधिकारियों को मुहैया कराना होगा। न्यायिक अधिकारी संबंधित वकील और अभियोजन को मुकदमे की सुनवाई के समय लिंक उपलब्ध कराएंगे। कंटेनमेंंट जोन में निवास कर रहे न्यायिक अधिकारियों को कोई कार्य नहीं दिया जाएगा। वकील अदालत का परिसर छोड़कर अन्य किसी भी स्थान से इस लिंक के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग में शामिल हो सकते हैं।
मैन्युअल दाखिले में नहीं बरती जा रही एहतियात : हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की मांग पर हाई कोर्ट में मुकदमों का मैन्युअल दाखिला शुरू हो गया है। लेकिन, कोरोना संक्रमण के मद्देनजर जरूरी एहतियात नहीं बरती जा रही है। रिपोर्टिंग के दौरान काउंटर पर वकीलों व मुंशियों की भीड़ रही। इससे शारीरिक दूरी मानक का पालन नहीं हो पाया। हाई कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के लिए क्यूबिक बनाए थे, जहां से वीसी के जरिए मुकदमों में बहस की जा सकती थी। लेकिन, तकनीकी कारणों के कारण व्यवस्था ध्वस्त हो गई। वकीलों ने आपत्ति जताई तो बार एसोसिएशन की मांग पर दोबारा मैन्युअल दाखिले और खुली सुनवाई की व्यवस्था लागू करनी पड़ी। एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्रनाथ सिंह का कहना है कि दस दिन से अधिक अदालत बंद होने के कारण भीड़ ज्यादा हो गई। वकीलों को एहतियात बरतने की हिदायत दी गई है। काउंटर बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट प्रशासन से अनुरोध किया गया है। उम्मीद है कि एक-दो दिन में और अधिक काउंटर खुल जाएंगे तो भीड़ नहीं लगेगी।