कम हुआ प्रयागराज में कोरोना का कहर तो खाली हुए एसआरएन अस्पताल के बेड भी, अब सिर्फ 22 मरीज भर्ती
थोड़ी देर से ही सही लेकिन स्वास्थ्य विभाग और नागरिकों की एक साथ लगी ताकत से कोरोना आखिर हार मान गया। इसका प्रमाण है लेवल थ्री का स्वरूपरानी नेहरू कोविड चिकित्सालय जहां केवल 22 संक्रमित मरीज भर्ती हैं और बाकी सभी कोविड वार्ड के सैकड़ों बेड खाली हो चुके हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। हर रात के बाद सुबह आती है और मुसीबत के बाद सुकून की छांव भी मिलती है। कोरोना की दूसरी लहर मेें भी कुछ ऐसा ही हुआ। बड़ी मुसीबत अचानक आई। थोड़ी देर से ही सही, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और नागरिकों की एक साथ लगी ताकत से कोरोना आखिर हार मान गया। इसका प्रमाण है लेवल थ्री का स्वरूपरानी नेहरू कोविड चिकित्सालय जहां अब केवल 22 संक्रमित मरीज भर्ती हैं और बाकी सभी कोविड वार्ड के सैकड़ों बेड खाली हो चुके हैं। मुसीबत लौट जाने की पड़ताल बता रही है दैनिक जागरण की यह रिपोर्ट।
नंबर गेम
-314 बेड हैं एसआरएन के सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में
-22 संक्रमित मरीज भर्ती हैं वर्तमान में।
-01 अप्रैल से संक्रमण में आई थी तेजी।
-15 अप्रैल तक फुल हो गया था स्पेशियलिटी ब्लाक
-08 अतिरिक्त वार्ड पुरानी बिल्डिंग में खोलने पड़े थे।
-550 बेड तक एसआरएन में भर गए थे।
-01 मई के बाद मिलने लगी राहत।
-22 मई के बाद 100 मरीजों से नीचे घटी संख्या।
स्टाफ ने पूरी क्षमता से काम किया
कोरोना संक्रमित मरीजों से वार्ड अब लगभग खाली हो चुके हैं। आइसीयू में ही मरीज बचे हैं। बाकी पुरानी बिल्डिंग में तो एक वार्ड में पोस्ट कोविड मरीज भर्ती हैं उनकी भी संख्या काफी कम है। डाक्टरों व अन्य चिकित्सा स्टाफ ने पूरी जिम्मेदारी से काम किया।
डा. सुजीत कुमार, नोडल लेवल थ्री कोविड अस्पताल
याद रखें इन नियमों को
-घर से बाहर निकलें तो मास्क लगाना है।
-हाथ को बार-बार सैनिटाइज करना है।
-आपस में दो गज की दूरी बनाए रखना है।
-फल, सब्जियां धुलने के बाद ही खाना है।
-घर लौटें तो जूते चप्पल बाहर ही उतरना है।
-सार्वजनिक स्थान पर थूकना नहीं है
-बच्चों को अभी घर में ही सुरक्षित रखना है।
घट गए निजी अस्पताल व संक्रमित
पिछले माह तक स्वास्थ्य विभाग ने नगर क्षेत्र के 15 निजी अस्पतालों को भी कोविड अस्पताल बना दिया था। इनकी संख्या भी तेजी से कम होने लगी है। एक जून तक 10 निजी अस्पताल ही कोविड श्रेणी के रहे इनमें भी कहीं चार, कहीं छह मरीज ही भर्ती हैं।
एक साल बनाम डेढ़ महीने
कोरोना की पहली लहर को शांत पडऩे में एक साल लग गए थे, जबकि दूसरी लहर काफी खतरनाक होते हुए और तीव्र गति मेें रहने के बावजूद महज डेढ़ माह में शांत हो गई। यह जनता और स्वास्थ्य विभाग की सामूहिक लड़ाई का ही परिणाम है कि प्रत्येक दिन नए संक्रमितों की संख्या भी पहले की अपेक्षा घट रही है।