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Dev Deepawali पर शिव व सर्वार्थ सिद्धि योग का सुखद संयोग, जाने कब है पूजन का विशेष महत्‍व

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि पूर्णिमा तिथि सुख व समृद्धि की प्रतीक है। सोमवार को रोहणी नक्षत्र व चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में संचरण करेगा। वहीं दिन में 11.52 बजे तक शिव व 11.53 बजे से सर्वार्थसिद्धि योग लग जाएगा। यह अत्यंत सुखद संयोग है।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 05:06 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 05:06 PM (IST)
Dev Deepawali पर शिव व सर्वार्थ सिद्धि योग का सुखद संयोग, जाने कब है पूजन का विशेष महत्‍व
यम-नियम से भगवान विष्णु का पूजन करके दीपदान करने से मानसिक क्लेश से मुक्ति मिलेगी।

प्रयागराज,जेएनएन। आत्मिक ऊर्जा, समृद्धि व साधना का पर्व देव दीपावली कार्तिक शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाएगा। सोमवार 30 नवंबर को पड़ रही देव दीपावली पर शिव व सर्वार्थ सिद्धि योग का सुखद संयोग है। उक्त तिथि पर सुबह संगम, गंगा अथवा यमुना में स्नान करके अन्न व वस्त्र का दान करना चाहिए। शाम को भगवान विष्णु का पूजन करके दीपक जलाने से सनातन धर्मावलंबी को 10 यज्ञ करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होगी।

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ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि पूर्णिमा तिथि सुख व समृद्धि की प्रतीक है। सोमवार को रोहणी नक्षत्र व चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में संचरण करेगा। वहीं, दिन में 11.52 बजे तक शिव व 11.53 बजे से सर्वार्थसिद्धि योग लग जाएगा। यह अत्यंत सुखद संयोग है। यम-नियम से भगवान विष्णु का पूजन करके दीपदान करने से मानसिक क्लेश से मुक्ति मिलेगी। बताते हैं कि भगवान विष्णु की संख्या 12 है। ऐसे में कम से कम देशी घी के 12 दीपक जरूर जलाना चाहिए।

कल भी जला सकते हैं दीपक

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि पूर्णिमा तिथि रविवार 29 नवंबर को दिन में 12.33 बजे लगकर सोमवार की दोपहर 2. 26 बजे तक रहेगी। ऐसी स्थिति में रविवार को व्रत की पूॢणमा है। सनातन धर्मावलंबी रविवार को व्रत रखकर शाम को दीपदान कर सकते हैं। जबकि सोमवार को स्नान-दान की पूर्णिमा रहेगी। इसी दिन देव दीपावली मनाई जाएगी। बताते हैं कि देव दीपावली पर घर व पवित्र नदियों के तट पर दीपदान करने वाले शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है, साथ ही साथ कर्ज से छुटकारा मिलता है। वहीं, पूर्णिमा तिथि का व्रत रखकर श्रीहरि का स्मरण व चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। साथ ही साधक को मृत्यु के बाद सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। पूॢणमा को रात्रि में जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।


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